मूंग एक बहुप्रचलित एवं लोकप्रिय दाल है, जो कि कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है. ग्रीष्म मूंग की खेती गेहूं, चना, सरसों, मटर, आलू, जौ, अलसी आदि फसलों की कटाई के बाद की जाती है, जब खेत खाली होते हैं.
मूंग फसल में कई पोषक तत्व जैसे प्रोटीन और फाइबर (Protein) की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है, इसलिए यह भारतीय में सबसे स्वादिष्ट और स्वास्थ्यप्रद दालों में से एक मानी जाती है. मूंग फसल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह जल्द पकने फसलों में से एक है.
चूंकि, फसल कम समय में पक जाती है, इसलिए किसान मूंग की खेती करके बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. मूंग की खेती से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण माना जाता है कि किसान फसलों की उन्नत किस्मों का चयन करें. ऐसे में आज हम इस लेख में आपको मूंग की एक खास किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसकी खेती किसानों के लिए अच्छी पैदावार के साथ – साथ मुनाफेदार भी साबित होगी.
पूसा मूंग-1431 की खासियत (Features Of Pusa Moong-1431)
यह किस्म पूसा मूंग-1431 के नाम से है. इस किस्म की खेती से किसान कुछ ही दिनों में अच्छा पैसा कमा सकते हैं. इस किस्म की खेती से मिट्टी की उर्वरता क्षमता भी बढती है. पूसा मूंग-1431 की फसल 56 दिन में पककर ही तैयार हो जाती है.
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इसकी जड़ें हवा से नाइट्रोजन खींचकर उन्हें कुदरती तौर से मिट्टी में फिक्स करती हैं. इससे जमीन उपजाऊ होती है.इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाई जाती है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. इसमें फाइबर की मात्रा भरपूर होती है, इसलिए यह कब्ज के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होती है.
पैदावार को दिया जा रहा बढ़ावा (Production Boost)
दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश के बिजनौर के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा पूसा मूंग-1431 की किस्म के बीज राज्य के किसानों को वितरित करेगा, ताकि इस फसल की खेती से किसानों की आमदनी अच्छी हो, साथ ही पैदावार बढ़ने पर छोटे सीमांत के किसानों को भी इस किस्म के बीजों को वितरण किया जाएगा.