भारत के अर्थ्यव्यवस्था को सबसे पहले अगर कोई संभालता है तो वो है देश की कृषि व्यवस्था और उससे जुड़े लोग. कहते हैं कृषि क्षेत्र अगर प्रभावित हो जाए तो इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है.
ऐसे में ये जरुरी होता है की हम कृषि व्यवस्था की विकासशील दिशा की और लेकर जाएं. इसके लिए जरुरी है की हम किसानों को समय के साथ-साथ चलना और हो रहे बदलाव के अनुकूल ढलना सिखाएं.
बात अगर आज से कुछ समय पहले की करें तो कृषि क्षेत्र इतना विकसित नहीं था. ना ही कृषि क्षेत्र में विज्ञान का इतना सकरात्मत प्रभाव देखने को मिलता था. किसानों की अधिकांश संख्या पारम्परिक तरीकों से खेती कर अपनी आजीविका चला रहे थे. वहीं बदलते समय के कृषि क्षेत्र में जिस तरह का बदलाव देखने को मिला रहा है वो काफी सराहनीय है.
विज्ञान की मदद से जिस तरह कृषि उपकरणों का आविष्कार हो रहा है उसका सीधा असर किसान और उसके आय पर देखने को मिल रहा है.पहले जिस प्रकार बिना उपकरण की मदद से खेती की जाती थी. उससे ना सिर्फ फसलों के पैदावार और गुणवत्ता पर असर पड़ता था, बल्कि एक काम के लिए किसानों का काफी समय भी बर्बाद होता था. वहीँ अब उपकरणों की मदद से किसानों के लिए खेती करना और भी आसान हो गया है.
उदाहरण के तौर पर अगर बात करें तो अब किसानों को में जुताई से लेकर कटाई तक में कृषि उपकरण का पूरा सहयोग मिलता है. वहीं अगर फसलों पर कीटों के प्रकोप की बात करें तो किसानों को यह समस्या सबसे अधिक परेशान करता है.
खेतों में फसल जब तक खड़ी रहती है तब तक कीटों के प्रकोप का खतरा फसलों पर मंडराता रहता है. जिस वजह से किसानों को समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करना आवश्यक हो जाता है. हालांकि की किसान अब खेतों में छिड़काव के लिए भी नई तकनीक जैसे ड्रोन और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल कर फसलों पर किटनाशक छिड़काव करने लगे हैं. इसकी मदद से ना सिर्फ किसानों का समय बच रहा है बल्कि उन्हें इसका फायदा भी मिल रहा है.
आपको बता दें इस ड्रोन तकनीक से सैकड़ों एकड़ में लगे फसलों के खेत में किसान एक साथ दवा का छिड़काव कर सकते हैं. जिससे दवा और समय दोनों की बचत होगी. पहले समय के अभाव में किसान दवा का छिड़काव नहीं कर पाते थे, जिससे फसलों में कीड़ा लग जाता था और बर्बाद होता था, मगर अब ड्रोन से एक ही किसान सभी के खेतों में जाकर छिड़काव कर सकता है. वहीं इस तकनीक से किसान सिर्फ 20 मिनट में 1 हेक्टेयर भूमि में छिड़काव कर सकते हैं.
वहीं इसमें लगने वाली लागत की अगर बात करें तो अधिकतर किसानों का मानना है की यह उनके बजट के बहार है. लेकिन वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं है. सही तरीके से अगर इसको समझा जाए तो यह किसानों के लिए बेहद लाभदायक और किसान सुविधा को मद्दे नजर रखते हुए तैयार किया गया है.
तकनीकों की मदद से एक तो किसानों का समय बचता है साथ ही हर साल लगने वाली मजदूरी भी बचती है. अगर देखा जाए तो एक एकड़ जमीन में छिड़काव के लिए 1 से 2 आदमी की जरुरत होती है. जिसके लिए जमीन के मालिकों को मजदूरी देनी पड़ती है. लेकिन ड्रोन जैसी तकनीकों की मदद से किसान कम समय में अधिक क्षेत्रफल में कीटनाशक का छिड़काव करने में सक्षम हैं और उन्हें रोज दिन की मजदूरी भी नहीं देनी पड़ेगी. इतना ही नहीं ये उपकरण किसानों के लिए एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट ( Long Term Investment ) भी है.