गेहूं की बुवाई अधिकतर गन्ना और धान के कटाई के बाद की जाती है. नतीजतन गेहूं की बुवाई में देर हो जाती है. ऐसे में हमें गेहूं की बुवाई के दौरान पहले से यह निश्चित कर लेना होगा कि गेहूं की कौन सी प्रजाति का चयन करें जो कम समय में अधिक उपज दें.
गेहूं की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए गेहूं की उन्नत प्रजातियों का चयन बेहद आवशयक है जिससे गेहूं की फसल जल्द से जल्द तैयार हो जायें. ऐसे में आइए आज हम आपको गेहूं की उन कुछ उन्नत क़िस्मों के बारें में आपको बताते है जो कम समय में अधिक उपज देते है-
हायब्रिड 65
गेहूं यह पिसिया किस्म है, जो भूरा गेरूआ निरोधक है. यह 130 दिन में तैयार हो जाता है. इसकी पैदावार असिंचित अवस्था में 13 से 19 क्विंटल प्रति हेक्टयर होती है. इसका दाना, सरबती, चमकदार, 1000 बीज का भार 42 ग्राम होता है.
सोनालिका
गेहूं की यह किस्म गेरूआ निरोधक होने के साथ ही अंबर रंग की बड़े दाने वाले किस्म है. यह 110 दिनों में पककर तैयार हो जाता है. गेहूं की यह किस्म देरी से बुवाई के लिए उपयुक्त है. धान काटने के बाद जमीन तैयार कर बुवाई की जा सकती है. इसकी पैदावार 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
कल्याण सोना (एच.डी.एम.1593)
गेहूं के इस किस्म का दाना चमकदार, शरबती रंग का होता है. यह किस्म 125 दिन में काटने योग्य हो जाती है. इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 30 से 35 क्विंटल तक होती है.
डब्ल्यू.एच. 147
गेहूं की यह किस्म बोनी पिसी किस्म काला और भूरा गेरूआ निरोधक है. सिंचित अवस्था के लिये उपयुक्त है. बाले गसी हुई मोटी होती है. इसका पकने का समय 125 दिन होता है. इसका दाना मोटा सरबती होता है. इसकी पैदावार 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
एच.डी. 4530
गेहूं की यह किस्म बोनी कठिया किस्म काला और भूरा गेरूआ निरोधक है. सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त है. बाले गसी हुई और मोटी होती है. इसका पकने का समय 130 दिन होता है. इसका दाना मोटा, सरबती और कड़क होता है. इसकी पैदावार 35 क्विंटल/ हेक्टेयर होती है.
शेरा (एच.डी.1925)
देर से बोने के लिए यह जाति उपयुक्त है. यह गेरूआ निरोधक है यह कम समय 110 दिन में पक जाती है. इसका दाना आकर्षक होता है. इसकी पैदावार लगभग 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
जे.डब्लू.-1106
यह मध्यम अवधि (115 दिन) वाली किस्म है जिसके पौधे सीधे मध्यम ऊंचाई के होते है. बीज का आकार सिंचित अवस्था में बड़ा व आकर्षक होता है.सरबती तथा अधिक प्रोटीन युक्त किस्म है जिसकी आसत उपज 40 - 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
हर्षित (एचआई-1531)
यह सूखा पाला अवरोधी मध्यम बोनी (75 - 90 से. मी. ऊंचाई) सरबती किस्म है. इसके दाने सुडौल, चमकदार, सरबती एवं रोटी के लिए उत्तम है जिसे सुजाता किस्म के विकल्प के रूप में उगाया जा सकता है. फसल अवधि 115 दिन है तथा 1 - 2 सिंचाई में 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज देती है.
मालवश्री (एचआई - 8381)
यह कठिया गेहूं की श्रेणी में श्रेष्ठ किस्म है. इसके पौधे बौने (85 - 90 से.मी. ऊंचाई), बालियों के बालों का रंग काला होता है. यह किस्म 4 - 5 सिंचाई मे बेहतर उत्पादन देती है. इसके 1000 दानों का वजन 50 - 55 ग्राम एवं उपज क्षमता 50 - 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
रतन
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित यह किस्म पूरे छत्तीसगढ़ में बुवाई के लिए अच्छा है. यह किस्म 112 दिन में पक कर तैयारहो जाती है. इसका दाना गोल होता है. सूखा व गेरूआ रोधक किस्म है जो औसतन 19 क्विंटल प्रति हेक्टयर उपज देती है.
अरपा
गेहूं की यह किस्म देरी से बुवाई करने के लिए सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ के लिए सही है. यह किस्म 112 दिन में तैयार हो जाती है. दाना अंबर रंग का होता है. अधिक तापमान, गेरूआ रोग व कटुआ कीट रोधक किस्म है जो औसतन 23-24 क्विंटल प्रति हेक्टयर उपज देती है.