भारत में गेहूं की खेती रबी सीजन में बड़े पैमाने पर की जाती है. अपने गेहूं के बंपर उत्पादन से देश की आपूर्ती के साथ- साथ हम विदेशों की आपूर्ती भी पूरा करते हैं. मांग को देखते हुए वैज्ञानिक भी किसानों की मदद के लिए अधिक उत्पादन देने वाली किस्में विकसित करते रहते हैं. आज हम इस लेख के माध्यम से किसानों को गेहूं की एक ऐसी उन्नत किस्म की जानकारी देने जा रहे हैं, जिसके उत्पादन से किसानों के साथ- साथ आम जन को भी लाभ मिलेगा.
क्योंकि इस गेहूं की रोटियां काफी लंबे समय तक नरम रहती हैं, और साथ ही इस गेहूं का आटा काला भी नहीं पड़ता है. वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस खास किस्म का नाम सीजी-1036 (Vidya CG-1036) है, जिसे हाल ही में छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है. खास बात यह है कि यह किस्म कम पानी वाले गेहूं की किस्म है.
विद्या सीजी 1036 (Vidhya CG 1036)
गेहूं की विद्या सीजी 1036 किस्म को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में कोटा, गुजरात, उत्तर प्रदेश के झांसी और उदयपुर में खेती के लिए उपयुक्त माना गया है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो अमूमन गेहूं की खेती के लिए 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है. लेकिन इस किस्म में केवल 3 सिंचाईयों की ही आवश्यकता होती है. गेहूं की यह किस्म बुवाई के 114 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती है.
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विद्या सीजी-1036 गेहूं की किस्म के फायदे
वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई इस खास किस्म पोषण से भरपूर है. इस गेहूं में स्वास्थ्य संबंधी सभी जरुरी पोषक तत्व मौजूद हैं. बता दें कि शरबती गेहूं व सी-306 की गेहूं की किस्मों को स्वादिष्ट रोटी के लिए उपयोगी माना जाता है. लोकिन अब इस श्रेणी में विद्या सीजी-1036 को भी सम्मिलित कर दिया गया है और साथ ही विद्या सीजी 1036 किस्म की पैदावार क्षमता 39 क्विंटल से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
इससे बनने वाली रोटियां लंबे समय यानि की 12 घंटों तक नरम बनी रहती हैं. वैज्ञानिक कहते हैं कि इस गेहूं में पानी की मात्रा अधिक होती है और यही वजह है कि रोटियां लंबे वक्त तक नरम रहती हैं.