Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 5 November, 2019 12:44 PM IST
Wheat

मिट्टी की जांच के बाद उर्वरकों को प्रयोग करें. संतुलित मात्रा में समय पर उर्वरक दें. उर्वरकों का सही प्लेसमेंट उत्पादन बढ़ाने में एवं उर्वरक उपयोग क्षमता बढ़ाने में योगदान देता है. उर्वरको को बीज से 2-3 सेमी नीचे डाले. कार्बनिक एवं जैविक स्रोतों का भरपूर उपयोग करे जिससे मृदा स्वास्थ्य एवं उत्पादकता बढ़ती है.

बीजदर अनुशंसित मात्रा में उपयोग करे. क्षेत्र विशेष के अनुसार शुद्ध, स्वस्थ्य, कीट एवं रोग रोधी किस्मों का चयन करें.समय पर बोनी करे. बीज एवं खाद एक साथ मिलाकर बोनी न करें. देर से बुवाई की अवस्था में संसाधन प्रबंधन तकनीक जैसे, जीरो टिलेज का प्रयोग करें. यथासंभव बुवाई लाइनों में करें क्रासिंग न करें. पौध संख्या अनुशंसा से ज्यादा न करें. 

खरपतवार नियंत्रक उपाय समय पर करें.खरपतवारनाशी दवाओं का इस्तेमाल करते समय ध्यान दे कि फसल में नीदाओं की सघनता एवं नीदाओं के प्रकार के हिसाब से रसायन का चयन करें.खरपतवार नाशी दवा का उपयोग मृदा में पर्याप्त नमी होने की दशा में सही मात्रा एवं घोल का इस्तेमाल करें.

गेहूँ में सिंचाई मिट्टी का प्रकार सिंचाई साधन, सिंचाई उपकरण को ध्यान में रखकर क्रान्तिक अवस्थाओं पर सिंचाई दे.

कीट एवं रोग नियंत्रक उपाय समय पर करें.

गेहूँ फसल की कटाई उपरांत नरवई खेतों में न जलायें, नरवई जलाने से खेतों की मृदा में उपलब्ध लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं का ह्रास होता हैं नरवई की आग से लोगों के घरों में भी आग लगती है.एवं जन व पशुधन हानि की भी संभावना रहती है.गेहूँ की फसल कटाई उपरांत खेतों में समुचित नमी की दशा में रोटावेटर चलाने से नरवई कटकर मिट्टी में मिल जाती है जो कि मृदा के लिए लाभदायक भी है.

आज के समय में रसायनों के असंयमित प्रयोग से खेती की उत्पादन लागत बढ़ रही है.आवश्यकता है कि इस उत्पादन लागत को कम किया जाये. उत्पादन लागत को कम करने का सस्ता एवं प्रभावी रीका है समन्वित प्रबंधन उपायों को अपनाना.

मौसम के परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती के बढ़ते तापमान एवं अनिश्चितता के कारण दिन प्रतिदिन कीड़े एवं बीमारियों की समस्या फसलों में बढ़ रही है.इनके प्रभावी प्रबंधन हेतु समन्वित उपायों को अपनाना नितांत आवश्यक है.

खेती में उत्पादन प्राप्त करने के लिये समय पर कुशल प्रबंधन एवं सही निर्णय आवश्यक है कई बार किसान भाई खरपतवार नियंत्रक उपायों को देर से अपनाते हैं जिसके कारण खरपतवार फसल की क्रांतिक अवस्था निकल जाती है एवं खरपतवार के पौधे मजबूत हो जाते हैं फिर उनका नियंत्रण रसायनों से भी मुश्किल होता है.

English Summary: Wheat Cultivation: right way to cultivate wheat follow these methods to get higher yield of wheat at low cost
Published on: 05 November 2019, 12:50 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now