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Updated on: 13 March, 2023 1:00 PM IST
नैनो यूरिया से जुड़ी संपूर्ण जानकारी

किसान भाई अपनी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए उसमें कई तरह की खाद का इस्तेमाल करते हैं. इन्हीं में से एक नैनो यूरिया है, जिससे फसल में छिड़कने से उसकी पैदावार क्षमता में वृद्धि हो जाती है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नैनो यूरिया उर्वरक फसल (Nano Urea Fertilizer Crop) में नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करने में मदद करता है. इसके कण बेहद छोटे होते हैं. देखा जाए तो इसके कणों का आकार 20-50 नैनो मी. तक होता है. तो आइए आज के इस लेख में हम नैनो यूरिया के इस्तेमाल व अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से जानते हैं ताकि किसान इसका सही तरीके से लाभ उठा पाएं. 

उपयोग विधि:

नैनो यूरिया का 2-4 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के घोल का खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए. नाइट्रोजन की कम आवश्यकता वाली फसलों में 2 मि. ली. एवं नाइट्रोजन की अधिक आवश्यकता वाली फसलों में 4 मि.ली तक नैनो यूरिया प्रति लीटर पानी की दर से उपयोग किया जा सकता है. अनाज, तेल, सब्जी, कपास इत्यादि फसलों में दो बार तथा दलहनी फसलों में एक बार नैनो यूरिया का उपयोग (Use of Nano Urea) किया जा सकता है. पहला छिड़काव अंकुरण/रोपाई के 30-35 दिन बाद तथा दूसरा छिड़काव फूल अथवा बाली आने के एक सप्ताह पूर्व किया जा सकता है. एक एकड़ खेत के लिये एक बार में प्रति छिड़काव लगभग 125 लीटर पानी की मात्रा पर्याप्त होती है.

उपयोग दिशा-निर्देश एवं सावधानियां:

उपयोग से पहले अच्छी तरह से बोतल को हिलायें. फ्लैट फन अथवा कट नोजल वाले स्प्रेयर का उपयोग करें. सुबह या शाम के समय जब तेज धूप, तेज हवा तथा ओस न हो तभी छिड़काव करे. यदि नैनो यूरिया के छिड़काव के 12 घंटे के भीतर बारिश होती है, तो यह सलाह दी जाती है कि छिड़काव पुनः किया जाए. यदि आवश्यक हो, नैनो यूरिया का आसानी से जव-उत्प्रेरक (सागरिका), 100% पानी में घुलनशील उर्वरकों और अधिकतर कृषि रसायनों के साथ मिलाकर उपयोग किया जा सकता है, लेकिन हमेशा मिश्रण और छिड़काव से पहले जार परीक्षण अवश्य करें. बेहतर परिणामों के लिये नैनो यूरिया का उपयोग इसके निर्माण की तारीख से 2 वर्ष के अंदर किया जाना चाहिए. यद्यपि नैनो यूरिया विष मुक्त है, तथापि सुरक्षा की दृष्टि से फसल पर छिड़काव करते समय फेस मास्क और दस्ताने का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. नैनो यूरिया को बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच से दूर ठंडी, सूखी जगह में रखें.

इफको नैनो यूरिया (तरल) नैनो तकनीक पर आधारित एक अनूठा उर्वरक है. जो विश्व में पहली बार इफको द्वारा विकसित किया गया है तथा भारत सरकार द्वारा अनुमोदित है. फसल की क्रांतिक अवस्थाओं पर नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की सफलतापूर्वक आपूर्ति हो जाती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ- साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है.

नैनो यूरिया के लाभ:

सभी फसलों के लिए उपयोगी सुरक्षित एवं पर्यावरण के अनुकूल, टिकाऊ खेती हेतु उपयोगी बिना उपज प्रभावित किये, यूरिया या अन्य नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की मात्रा में कटौती, वातावरण प्रदूषण की समस्या से मुक्ति (अर्थात मिट्टी, हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार). उर्वरक उपयोग दक्षता में सार्थक सुधार. गुणवत्तायुक्त अधिक उपज पाने में सहायक. परिवहन एवं भण्डारण खर्चों में कमी तथा सुगम परिवहन. 4% नैनो कण युक्त, 500 मि. ली- नैनो यूरिया (तरल), एक बोरा यूरिया के बराबर नत्रजन देता है.

ये भी पढ़ेंः नैनो यूरिया क्या है? जैविक खेती में साबित हो सकता है मील का पत्थर

Note- बता दें कि यह जानकारी इंडियन पोटाश लिमिटेड द्वारा नैनो यूरिया की इक्स्क्लूसिव निजी विपणन द्वारा की गई है. इन्होंने बताया है कि नैनो यूरिया (तरल) पर्यावरण अनुकूल उत्पाद है.

English Summary: What is nano urea, know here its method of use, benefits and precautions
Published on: 13 March 2023, 11:21 AM IST

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