केंद्र सरकार नैनो यूरिया को बढ़ावा देने के लिए लगातार कोशिशें कर रही है, इसी कड़ी में 4 फ़रवरी को केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (AMIT SHAH) ने झारखंड के देवघर में इफको नैनो यूरिया (IFFCO Nano Urea) प्लांट की 5वीं यूनिट का शिलान्यास किया. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा कि, “आज देवघर में इफको के पांचवे नैनो यूरिया (तरल) प्लांट का शिलान्यास किया. तरल नैनो यूरिया के उपयोग से किसानों का उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही भूमि का संरक्षण भी होगा. 6 करोड़ बोतल प्रति वर्ष उत्पादन की क्षमता वाले इस प्लांट से लाखों किसान लाभांवित होंगे.“
आज हम जानेंगे कि नैनो यूरिया क्या है और यह किस तरह उपयोगी है?
क्या है नैनो यूरिया?
नैनो यूरिया उर्वरक के रूप में फ़सल में नाइट्रोजन की ज़रूरत को पूरा करता है. नाम से ही पता चलता है कि इसके कण बेहद नैनो या सूक्ष्म आकार के होंगे. इसके कण का आकार 20-50 नैनो मी. होता है. नैनो यूरिया, दानेदार यूरिया के मुक़ाबले ज़्यादा असरदार और लागत में कम होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि सामान्य यूरिया की पूरी शक्ति के बराबर शक्ति नैनो यूरिया की 500 एमएल की बोतल मिलती है. नैनो यूरिया, सामान्य यूरिया की खपत को क़रीब 50% तक कम कर सकता है. नैनो यूरिया तरल को उपयोग करने के लिए छोटे बोतल में आसानी से खेत में ले जाया जा सकता है.
उपयोग
दानेदार यूरिया से तुलना करें तो यह पौधे में बेहतर तरीक़े से नाइट्रोजन की आपूर्ति करता है. नाइट्रोजन पौधों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट के निर्माण के लिए ज़रूरी होता है. छिड़काव विधि से यूरिया को पौधों की जड़ों में डाला जाता है, जबकि नैनो यूरिया को सीधा पौधों की पत्तियों पर उपयोग किया जाता है. नैनो यूरिया की अवशोषण क्षमता 80 फ़ीसदी से ज़्यादा होती है. इस तरह आवश्यक तत्वों की सही से पूर्ति से पौधों का सही से विकास होता है और उपज बढ़िया मिलती है.
परिवहन में आसान और बजट फ़्रेंडली होने के साथ नैनो यूरिया की ख़ास बात यह है कि इससे भूमि की उर्वरक क्षमता को नुक़सान नहीं पहुंचता, वहीं बोरी में आने वाले सामान्य यूरिया के इस्तेमाल से ज़मीन के केंचुए नष्ट होते हैं और भूमि की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित होती है. तरल नैनो यूरिया मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मील का पत्थर साबित हो सकता है. इस यूरिया को बढ़ावा मिलने से हम आर्गेनिक खेती की ओर क़दम बढ़ा सकते हैं, अपने खेत को ज़्यादा उपजाऊ बना सकते हैं और कम ख़र्च में अधिक फ़ायदा ले सकते हैं.
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