GM Mustard: देश में इन दिनों जीएम सरसों (जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों) की व्यवसायिक खेती पर बहस छिड़ी हुई है. केंद्र सरकार द्वारा इसकी व्यवसायिक खेती को मंजूरी दिए जानें के बाद से इस पर विवाद जारी है. बीते दिनों सुप्रिम कोर्ट में इस पर बहस भी हुई. लेकिन, यहां जानने वाली बात यह है कि आखिर जीएम सरसों पर विवाद क्यों छिड़ा है, जीएम सरसों क्या है और इसके क्या फायदें हैं? दरअसल, ये विवाद तब शुरू हुआ था जब पिछले साल केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के बायोटेक नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी ने जीएम सरसों की व्यवसायिक खेती को मंजूरी दी थी. कमेटी के इस फैसले के बाद कई किसान समूहों,एजीओ और पर्यावरण से जुड़े संगठनों ने इसका विरोध किया था. जिसके बाद ये मामला कोर्ट जा पहुंचा था.
जहां एक ओर इसके विरोध में खड़े संगठनों का कहना है की भारत में जीएम सरसों के उपयोग के चलते खेती को नुकसान पहुंचेगा. वहीं, विशेषज्ञों की मानें तो इससे उत्पादकता में वृद्धि होगी और किसानों को इससे काफी फायदा होगा. विशेषज्ञों का ये भी कहना है की कई देशों में इसकी खेती सफल तरीके से की जा रही है. ऐसे में अगर भारत भी इसे अपनाता है, तो आने वाले समय में इसके कई फायदे होंगे. लेकिन, इससे किसानों का क्या फायदा होगा, आइए जानते हैं?
क्या है जीएम सरसों?
जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों (जीएम सरसों), सरसों की एक किस्म है, जिसे पौधों की दो अलग-अलग किस्मों को मिलाकर बनाया गया है. इसका मतलब ये की यह एक हाइब्रिड वेरायटी है, जिसे लैब में तैयार किया गया है. इसमें रोग लगने के चांस कम होते हैं और इसका उत्पादन भी ज्यादा रहता है. ऐसी क्रॉसिंग से मिलने वाली फर्स्ट जेनरेशन हाइब्रिड वेरायटी की उपज मूल किस्मों से ज्यादा होने का चांस रहता है. हालांकि सरसों के साथ ऐसा करना आसान नहीं था. इसकी वजह यह है कि इसके फूलों में नर और मादा, दोनों रीप्रोडक्टिव ऑर्गन होते हैं. यानी सरसों का पौधा काफी हद तक खुद ही पोलिनेशन कर लेता है. किसी दूसरे पौधे से परागण की जरूरत नहीं होती. ऐसे में कपास, मक्का या टमाटर की तरह सरसों की हाइब्रिड किस्म तैयार करने का चांस काफी कम हो जाता है.
जीएम सरसों उगाने के फायदे
उत्पादकता में वृद्धि: समर्थकों का तर्क है कि जीएम सरसों, विशेष रूप से धारा सरसों हाइब्रिड (डीएमएच-11) में सरसों की फसल की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि करने की क्षमता है.इससे भारत की सरसों की खेती में वर्तमान में सामने आ रही कम उत्पादकता की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है.
आयात निर्भरता में कमी: भारत बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है, और जीएम सरसों घरेलू सरसों तेल उत्पादन को बढ़ाकर इस निर्भरता को कम कर सकती है. इससे संभावित रूप से विदेशी मुद्रा की बचत हो सकती है और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिल सकता है.
फसल सुरक्षा: आनुवंशिक संशोधन कीटों और बीमारियों के प्रति प्रतिरोध प्रदान कर सकता है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है. इससे पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिल सकता है.
बेहतर तेल गुणवत्ता: जीएम सरसों को विशिष्ट गुणों वाले तेल का उत्पादन करने के लिए इंजीनियर किया जा सकता है, जैसे कम इरुसिक एसिड सामग्री और बेहतर शेल्फ जीवन, जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ हो सकता है.
संकर किस्में: डीएमएच-11 की तरह जीएम सरसों, संकर किस्मों (हाइब्रिड किस्मों) को विकसित करने की संभावना प्रदान करती है, जो बढ़ी हुई उपज और एकरूपता जैसे वांछनीय लक्षण प्रदर्शित करती हैं.