What is Essential Nutrients for Plants: जिस तरह से एक व्यक्ति के शरीर को पोषक तत्वों की जरूरत होती है, उसी तरह से पौधों को भी अपनी ग्रोथ के लिए कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. इन पोषक तत्वों के चलते ही पौधे अपना विकास, प्रजनन और विभिन्न जीवाणु क्रियाओं को कर पाते हैं. अगर ये पोषक तत्व पौधों को समय से न मिलें तो इससे उनका विकास रुक जाता है. इन पोषक तत्वों में मुख्य तौर पर नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और पोटाश आदि शामिल हैं.
इन पोषक तत्वों की कमी का प्रभाव फसल की पैदावार पर पड़ता है. अगर पौधों में इनकी कमी हो जाए, तो किसानों को भरपूर उत्पादन नहीं मिल पाता. ऐसे में आज हम आपको फसलों के लिए जरूरी कुछ ऐसे ही पोषक तत्वों के बारे में बताएंगे, जो पौधों के लिए बेहद जरूरी हैं. इस खबर में हम आपको इनके लक्षण के बारे में भी बताएंगे. तो आइए विस्तार से आपको इन तत्वों के बारे में बताते हैं.
पोषक तत्वों की कमी होने पर दिखते हैं ये लक्षण
फसलों में बोरान की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
फसल में बोरान की कमी के चलते वर्धनशील भाग के पास की पत्तियों का रंग पीला हो जाता है. इसके अलावा कलियां सफेद या हल्के भूरे मृत ऊतक की तरह दिखाई देती है.
फसलों में सल्फर/गंधक की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
सल्फर/गंधक की कमी के चलते फसल की पत्तियां, शिराओं सहित, गहरे हरे से पीले रंग में बदल जाती हैं तथा बाद में सफेद हो जाती हैं. गंधक की कमी के चलते सबसे पहले नई पत्तियां प्रभावित होती हैं.
फसलों में मैगनीज की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
इस पोषक तत्व की कमी के चलते पत्तियों का रंग पीला-घूसर या लाल घूसर जाता है तथा शिराएं हरी हो जाती हैं. पत्तियों के किनारे और शिराओं का मध्य भाग हरितिमाहीन हो जाता है. हरितिमाहीन पत्तियां अपने सामान्य आकार में ही रह जाती हैं.
फसलों में जिंक/जस्ता की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
जिंक/जस्ता की कमी के चलते सामान्य तौर पर पत्तियों के शिराओं के मध्य हरितिमाहीन के लक्षण दिखाई देते हैं और पत्तियों का रंग कांसा की तरह हो जाता है.
फसलों में मैग्नीशियम की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
फसल में अगर मैग्नीशियम की कमी हो जाए, तो पत्तियों के अग्रभाग का रंग गहरा हरा होकर शिराओं का मध्य भाग सुनहरा पीला हो जाता है. अन्त में किनारे से अन्दर की ओर लाल- बैंगनी रंग के धब्बे बन जाते हैं.
फसलों में फास्फोरस की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
पौधों की पत्तियां फास्फोरस की कमी के कारण छोटी रह जाती हैं. तथा पौधो का रंग गुलाबी होकर गहरा हरा हो जाता है.
फसलों में कैल्शियम की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
कैल्शियम की कमी के चलते पहले प्राथमिक पत्तियां प्रभावित होती हैं तथा देर से निकलती हैं. वहीं, शीर्ष कलियां खराब हो जाती हैं. कैल्शियम की कमी के चलते मक्के की नोर्के चिपक जाती हैं.
फसलों में आयरन/लोहा की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
इस पोषक तत्व की कमी के चलते नई पत्तियों में तने के ऊपरी भाग पर सबसे पहले हरितिमाहीन के लक्षण दिखाई देते हैं. शिराओं को छोड़कर पत्तियों का रंग एक साथ पीला हो जाता है.उक्त कमी होने पर भूरे रंग का धब्बा या मृत ऊतक के लक्षण प्रकट होते हैं.
फसलों में कॉपर/तांबा की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
तांबे के कमी के चलते नई पत्तियां एक साथ गहरी पीले रंग की हो जाती हैं तथा सूख कर गिरने लगती हैं. खाद्यान्न वाली फसलों में गुच्छों में वृद्धि होती है तथा शीर्ष में दाने नहीं होते हैं.
फसलों में मालिब्डेनम की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
अगर फसल में मालिब्डेनम की कमी हो जाए तो नई पत्तियां सूख कर हल्के हरे रंग की जो जाती हैं. मध्य शिराओ को छोड़कर पूरी पत्तियों पर सूखे धब्बे दिखाई देते हैं. नाइट्रोजन के उचित ढंग से उपयोग न होने के कारण पुरानी पत्तियां हरितिमाहीन होने लगती हैं.
फसलों में पोटेशियम की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
पोटेशियम की कमी के चलते पुरानी पत्तियों का रंग पीला/भूरा हो जाता है और बाहरी किनारे कद फट जाते है. मोटे अनाज यथ मक्का एवं ज्वार में ये लक्षण पत्तियों के अग्रभाग से प्रारंभ होते हैं.
फसलों में नाइट्रोजन की कमी होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
इस पोषक तत्व की कमी के चलते पौधे हल्के हरे रंग के या हल्के पीले रंग के होकर बौने रह जाते हैं. पुरानी पत्तियां पहले पीली (हरितिमाहीन) हो जाती हैं. मोटे अनाज दाली फसलों मैं पत्तियों का पीलापन अग्रभाग से शुरु होकर मध्य शिराओं तक फैल जाता है.
मिट्टी की करवाएं जांच
अगर आपकी फसलों में भी पोषक तत्वों की कमी हैं, तो एक बार अपने खेत की मिट्टी की जांच जरूर करवाएं. क्योंकि मिट्टी के जरिए की आपकी फसलों में पोषक तत्व पहुंचते हैं. कृषि का मूलाधार ही मिट्टी की गुणवत्ता है. बिना जानकारी के अंधाधुंध खाद आदि का प्रयोग करने से मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है. किसान बेहतर प्रबंधन कर बेहतर फसल प्राप्त कर ककते हैं. ऐसे में अगर आप भी अच्छी उपज पाना चाहते हैं और अपनी पैदावार को बढ़ाने के विकल्प तलाश रहे हैं तो एक बार मिट्टी की जांच जरूर करवाएं. इसके लिए आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र जा सकते हैं.