उन्नत तरीके से खेती करने के लिए किसानों के पास उन्नत बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशक दवा तथा पानी की समुचित व्यवस्था के साथ-साथ कौन से मौसम में कौन- सा कृषि कार्य करें उसकी भी जानकारी होना बहुत जरुरी है. ऐसे में आइए आज हम बताते है कि किसान मार्च माह में क्या करें और क्या न करें-
गेहूं बुवाई के समय के अनुसार गेहूं में दाने की दुधियावस्था में 5वीं सिंचाई, बुवाई के 100-105 दिन की अवस्था पर छठीं और अंतिम सिंचाई बुवाई के 115-120 दिन बाद दाने भरते समय करें. गेहूं में इस समय हल्की सिंचाई (5 सेंमी) ही करें. तेज हवा चलने की स्थिति में सिंचाई न करें, अन्यथा फसल गिरने का डर रहता है. जौ यदि जौ की बुवाई देर से हो तो इसमें तीसरे और अंतिम सिंचाई दुधियावस्था में बोआई के 95-100 दिन की अवस्था में करें.
चना (Gram)
चने की फसल में दाना बनने की अवस्था में फलीछेदक कीट का अत्याधिक प्रकोप होता है. फली छेदक कीट की रोकथाम के लिए जैविक नियंत्रण हेतु एन.पी. वी. (एच.) 25 प्रतिशत एल. ई. 250-300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
गन्ना (Sugarcane)
गन्ना की बुवाई का कार्य 15-20 मार्च तक पूरा कर लें.
गन्ने की दो कतारों के मध्य उर्द अथवा मूँग की दो-दो कतारें या भिण्डी की एक कतार मिलवाँ फसल के रूप में बोई जा सकती है.
यदि गन्ने के साथ सहफसली खेती करनी हो तो गन्ने की दो कतारों के बीच की दूरी 90 सेंमी रखें.
सूरजमुखी (Sunflower)
सूरजमुखी की बुवाई 15 मार्च तक पूरा कर लें. सूरजमुखी की फसल में बुवाई के 15-20 दिन बाद फालतू पौधों को निकाल कर पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंमी कर लें और तब सिंचाई करें.
उड़द/मूंग (Urad/Moong)
बसन्त ऋतु की मूंग व उर्द की बुवाई के लिए यह माह अच्छा है. इन फसलों की बुवाई गन्ना, आलू तथा राई की कटाई के बाद की जा सकती है. उर्द की टा-9, पन्त यू. 19, पन्त यू.30, आजाद-1, पन्त यू. 35 तथा मूंग की पन्त मूंग-1 पन्त मूंग -2, नरेन्द्र मूंग-1, टा. 44, पी.डी.एम.54, पी.डी.एम. 11, मालवीय जागृति मालवीय जनप्रिया अच्छी प्रजातियां हैं.
चारे की फसल (Fodder Crop)
गर्मी में पशुओं को सुगमता से चारा उपलब्ध कराने के लिए इस समय मक्का, लोबिया तथा चरी की कुछ खास किस्मों की बुवाई के लिए अच्छा समय है.
सब्जियों की खेती (Vegetable Cultivation)
बैंगन तथा टमाटर में फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए क्यूनालफास 25 प्रतिशत 1.0 ली. प्रति हेक्टेयर 500-600 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.
वर्षाकालीन बैंगन के लिए नर्सरी में बीज की बुवाई कर दें.
ग्रीष्मकालीन सब्जियों-लोबिया, भिंडी, चौराई, लौकी, खीरा, खरबूज, तरबूज, चिकनी तोरी, करेला, आरी तोरी, कुम्हड़ा( सीताफल ), टिंडा, ककड़ी व चप्पन कद्दू की बुवाई यदि न हुई हो तो पूरी कर लें.
ग्रीष्मकालीन सब्जियों, जिनकी बुवाई फरवरी माह में कर दी गई थी, उनकी 7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें तथा आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें.
पत्ती खाने वाले कीटों से बचाने के लिए डाईक्लोरोवास एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
लहसुन की फसल में निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें.
फलों की खेती (Fruits Cultivation)
आम में भुनगा कीट से बचाव हेतु मोनोक्रोटोफास 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घुलनशील गंधक 80 फीसद 2.0 ग्राम अथवा डाइनोकैप 48 फीसद ई.सी. 1.0 मि.ली. की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें.
काला सड़न या आन्तरिक सड़न के नियंत्रण के लिए बोरैक्स 10 ग्राम 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. उपरोक्त तीनों रोगों के विरूद्ध उपयुक्त रसायनों का एक साथ मिलाकर स्प्रे किया जा सकता है.
पुष्प व सुगंध पौधे (Flowers and Aromatic Plants)
यदि आप गलैडियोलस से कंद लेना चाहें तो पौधे को भूमि से 15-20 सेंमी ऊपर से काटकर छोड़ दें और सिंचाई करें.
पत्तियां जब पीली पड़ने लगें तो सिंचाई बंद कर दें.
गर्मी वाले मौसमी फूलों जैसे पोर्चुलाका, जीनिया, सनफ्लावर, कोचिया, नारंगी कासमास, ग्रोम्फ्रीना, सेलोसिया व बालसम के बीजों को एक मीटर चौड़ी तथा आवश्यकतानुसार लम्बाई की क्यारियां बनाकर बीज की बुवाई कर दें.
मेंथा में 10-12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें तथा प्रति हेक्टेयर 40-50 किग्रा नाइट्रोजन की पहली टाप ड्रेसिंग कर दें.
पशुपालन/दुग्ध विकास (Animal Husbandry / Dairy Development)
पशुशाला की सफाई व पुताई करायें.
गर्भित गाय के भोजन में दाना की मात्रा बढ़ा दें.पशुओं के पेट में कीड़ों की रोकथाम के लिए कृमिनाशक दवा देने का सर्वोत्तम समय है.
मुर्गीपालन (Poultry)
कम अंडे देने वाली मुर्गियों की छटनी (कलिंग) करें.
मुर्गियों के पेट में पड़े कीड़ों की रोकथाम (डिवर्मिंग) के लिए दवा दें.
परजीवियों जैसे जुएं की रोकथाम के लिए मैलाथियान कीटनाशक तथा राख का आधा-आधा भाग मिलाकर मुर्गियों के पंख पर रगड़े.