मीठे मटर के फूलों की खेती रंगीन फूलों और अच्छी सुगंध के लिए की जाती है. इसकी खेती जाड़े के मौसम में की जाती है और यह ग्रीष्म ऋतु तक फुल देने लगते हैं. इसको घरों और पार्टियों में सजावट के तौर पर व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. यह फूल जंगल, चरागाहों, खेतों, झाड़ियों और सड़कों के किनारे जीवित रहते हैं.
इसके जड़ों की संरचना रेशेदार होती है. इस फूल का जीवन चक्र वार्षिक होता है. इसके रोपण का समय जनवरी से लेकर वसंत के अंत तक होता है. इसकी जड़ों में नाइट्रोसोमोनास और अन्य नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया पाए जाते हैं.
अनुकूल जलवायु
मटर के फूलों को बढ़ने के लिए कम रोशनी की जरुरत होती है. यह कुछ हद तक ठंडे और आर्द्र मौसम को भी सहन कर सकती है. इस फूल के लिए 19 से 28 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान विशिष्ट माना जाता है. मटर के पौधों को नियमित समय पर पानी की जरूरत होती है. इसको पानी में घुलनशील उर्वरक और जैविक खाद समय-समय पर देते रहना चाहिए. इसके फूलों के उत्पादन को बनाए रखने के लिए फूलों को बार-बार काटते रहें और मुरझाए हुए फूलों को भी हटा दें.
उपयोग
मटर के फूल को सजावट के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इसकी अच्छी सुगंध और सौदंर्य के कारण इसे शादियों, होटलों और बड़े-बड़े उत्सवों और प्रदर्शनों पर सजावट के काम के लिए उपयोग किया जाता है.
औषधिय गुण
● मटर के फूलों में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं. जो हमारे शरीर को रोगों से लड़ने में मदद करते हैं.
● मटर के फूल की चाय को विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए भी उपयोग किया जाता है. इसे बुखार, सूजन, क्षरण, गठिया का दर्द और विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
● इसमें उपस्थित पी-कूमरिन एसिड और डेल्फ़िनिडिन ग्लूकोसाइड जैसे तत्व मौजूद होते हैं. जो मटर के फूलों में रोगाणुरोधी गुण प्रदान करते हैं.
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कुछ जानवरों के अध्ययन के अनुसार मटर के फूलों के सेवन से मस्तिष्क में एसिटाइलकोलाइन के स्तर को बढ़ाता है जो हमारी यादगार और एकाग्रता को मजबूत करता है.
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इस फूल में पाए जाने वाले क्लिटोरिया टर्नाटिया में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो आंखों को धूप, जलन आदि से बचाते हैं. यह आंखों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है. मटर के फूलों के लेप लगाने से शरीर की कोमलता बढ़ती है और इसके साथ-साथ झुर्रियाँ भी कम होती हैं.