Mahindra Tractors ने अप्रैल 2024 में बेचे 37,039 ट्रैक्टर्स, निर्यात बिक्री में 23% की वृद्धि Mandi Bhav: गेहूं की कीमतों में गिरावट, लेकिन दाम MSP से ऊपर, इस मंडी में 6 हजार पहुंचा भाव IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये 2 छोटे बिजनेस, सरकार से मिलेगा लोन और सब्सिडी की सुविधा एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 10 February, 2022 10:30 PM IST
फसल में लगे रोग की पहचान

गेहूं की खेती में फसल की अच्छी गुणवत्ता और पैदावार, दोनों अति आवश्यक है. इसलिए फसल की सही तरीके से देखभाल करना जरूरी है. इसी कड़ी में वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार राजपूत ने गेहूं की फसल में बीज उपचार से लेकर फसलों में कीट और चूहों से कैसे प्रबंधन करें इसकी सलाह दी है. तो आइये डॉ. मनोज कुमार राजपूत के फसल प्रबंधन को लेकर सुझाव जानते हैं.

बीज उपचार हेतु करें यह कार्य (Do this work for seed treatment)

अनावृत्त कण्डुआ एवं करनाल वन्ट के नियंत्रण हेतू थीरम 75 प्रतिशत डी॰एस॰/डब्लू॰एस॰ की 2.5 ग्राम अथवा कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू॰पी॰ की 1.5 ग्राम अथवा कार्बेक्सिन 75 डब्लू॰ पी॰ की 2.0 ग्राम अथवा टेबूकोनाजोल 2 प्रतिशत डी॰एस॰ की 1.0 ग्राम प्रति किग्रा0 बीज की दर से बीज शोधन कर बुवाई करनी चाहिए.

मृदा उपचार हेतु करें यह कार्य (Do this work for soil treatment)

बुवाई से पूर्व जैव कवकनाशी (ट्राईकोडर्मा प्रजाति आधारित) द्वारा 2.5 किग्रा. प्रति हेक्टेयर को 60 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर मृदा उपचार करें, जिसमें अनावृत्त कण्डुवा, करनाल बन्ट आदि रोगों के प्रबन्धन में सहायता मिलती है.

दीमक पर नियंत्रण (Termite control)

यह एक सामाजिक कीट है तथा कालोनी बनाकर रहते हैं. एक कालोनी में कई श्रमिक (90 प्रतिशत), सैनिक 2-3 प्रतिशत, एक रानी, एक राजा तथा कई कालोनी बनाने वाले या पूरक अविकसित नर एवं मादा पाये जाते हैं. श्रमिक पंखहीन सबसे छोटे, पीताभि स्वेत रंग के होते हैं.

उपचार (Treatment)

खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप होने पर क्लोरपाइरीफास 20. ई.सी. 2-3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर सिंचाई के पानी के साथ अथवा बालू में मिलाकर प्रयोग करें. बिवेरिया बेसियाना 2.5 किग्रा. मात्रा को 60-70 किग्रा सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर 10 दिनों तक छायें में ढककर रख दें, साथ ही बुवाई करते समय कूड़ में इसे डालकर बुवाई करें.

ये भी पढ़ें: आलू की फसलों में लगने वाले रोग और उसका प्रबंधन

चूहे का नियंत्रण (Mouse control)

गेहूं की खड़ी फसल को चूहे अधिक क्षति पहुँचाते हैं. अतः फसल की अवधि में दो-तीन बार इनकी रोकथाम की आवश्यकता होती है. यदि चूहों की रोकथाम का कार्य सामूहिक रूप से किया जाए, तो अधिक सफलता मिलती है.

उपचार (Treatment)

इनकी रोकथाम हेतु जिंक फॉस्फाइड अथवा बेरियम कार्बोनेट में बने जहरीले चारे का प्रयोग करें.

जहरीला चारा बनाने की विधि (Method of making poison bait)

जिंक फॉस्फाइड एक भाग, सरसों का तेल एक भाग तथा 48 भाग दाना मिलाकर बनाया हुआ जहरीला चारा प्रयोग करें. इससे भी चूहे के प्रकोप को बढ़ने से रोका जा सकता है.

तो ऐसी ही कृषि सम्बंधित जानकारियां पाने के लिए जुड़े रहें कृषि जागरण हिंदी वेबसाइट के साथ...

English Summary: Weed Management, To get more yield from wheat crop, identify these diseases and prevent them
Published on: 10 February 2022, 10:40 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now