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Updated on: 15 January, 2022 4:10 PM IST
प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग

कई किसानों के सामने ये समस्या आने लगी है कि उनके खेत में फसलों की उत्पादकता धीरे- धीरे कम हो रही है, ऐसे में किसान प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग करके खेती की उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं. खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक फिल्म के द्वारा सही तरीके से ढकने की प्रणाली को प्लास्टिक मल्चिंग कहते है. 

यह फिल्म कई प्रकार और कई रंग में आती है.

प्लास्टिक मल्च फिल्म का चुनाव

प्लास्टिक मल्च फिल्म का रंग काला, पारदर्शी, दूधिया, प्रतिबिम्बित, नीला, लाल आदि हो सकता है.

प्लास्टिक पलवार के लाभ

  • मृदा में नमी संरक्षण एवं तापमान नियंत्रण के सहायक

  • खरपतवार की वृद्धि के अवरोधक में सहायक 

  • हवा वा पानी से मिट्टी के कटाव काम करना

  • पौधो कीवृद्धि के लिए अनुकूल वारावरण प्रदान करता है

  • उत्पादकता में सुधार

प्लास्टिक पलवार

प्लास्टिक फ़िल्म जब पलवार के रूप में ली जाती है, तो उसे प्लास्टिक पलवार कहते हैं. यह सस्ती, आसानी से उपलब्ध एवं सभी मोटाई व रंग में उपलब्ध होती है. 

प्लास्टिक पलवार के प्रकार

प्लास्टिक विभिन्न रंगों जैसे काले, पारदर्शी, पिला/काला, सफेद / काला, काला/लाल पलवार के रूप में उपलब्ध होती है. सामान्यता ये काली या सफेद काले रंग की प्लास्टिक पलवार मुख्यतः उपयोग में ली जाती है.

काली फिल्म

काली फिल्म भूमि में नमी संरक्षण, खरपतवार से बचाने तथा भूमि का तापक्रम को नियंत्रित करने में सहायक होती है. बागवानी में अधिकतर काले रंग की प्लास्टिक मल्च फिल्म प्रयोग में लायी जाती है.

दूधिया या सिल्वर युक्त प्रतिबिम्बित फिल्म 

यह फिल्म भूमि में नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ भूमि का तापमान कम करती है.

पारदर्शी फिल्म

यह फिल्म अधिकतर भूमि के सोलेराइजेशन में प्रयोग की जाती है. ठंडे मौसम में खेती करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है.

प्लास्टिक पलवार फ़िल्म का चयन -

प्लास्टिक मल्चिंग के प्रयोग में आने वाली फिल्म का चुनाव करते समय उसकी चौड़ाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए, जिससे यह कृषि कार्यों में भरपूर सहायक हो सके. सामान्यत: 90 से.मी. से लेकर 180 सें.मी तक की चौड़ाई वाली फिल्म ही प्रयोग में लायी जाती है.

प्लास्टिक पलवार को बिछाना 

पलवार को बिजाई एवं रोपाई से पूर्व लगाया जाता है.  खेत में क्यारी बनाने के साथ ही पलवार को बिछा कर किनारे से दबा दिया जाता है. इस प्रक्रिया को श्रमिको के द्वारा करने से समय व धन का व्यय होता है. अतः वर्तमान में ट्रैक्टर द्वारा पलवार बिछाने वाली मशीन भी उपलब्ध है. 

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इस तकनीक से क्या फ़ायदा होता है 

इस तकनीक से खेत में पानी की नमी को बनाए रखने और वाष्पीकरण रोका जाता है. ये तकनीक खेत में मिट्टी के कटाव को भी रोकती है और खेत में खरपतवार को होने से बचाया जाता है. बाग़वानी में होने वाले खरपतवार नियंत्रण एवं पौधों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने में बहुत सहायक होती है, क्योंकि इसमें भूमि के कठोर होने से बचाया जा सकता है और पौधों की जड़ों का विकास अच्छा होता है.

सब्जियों की फसल में इसका प्रयोग कैसे करें -

जिस खेत में सब्जी वाली फसल लगानी है, उसकी पहले अच्छी से जुताई कर लें, फिर उसमें गोबर की खाद् और मिटटी परीक्षण करवा के उचित मात्रा में खाद दें. फिर खेत में उठी हुई क्यारी बना लें. फिर उनके उपर ड्रिप सिंचाई की पाइप लाइन को बिछा लें. फिर 25 से 30 माइक्रोन प्लास्टिक मल्च फिल्म जो की सब्जियों के लिए बेहतर रहती है, उसे उचित तरीके से बिछा दें. इसके बाद फिल्म के दोनों किनारों को मिटटी की परत से दबा दिया जाता है. इसे आप ट्रैक्टर चालित यंत्र से भी दबा सकते हैं. फिर उस फिल्म पर गोलाई में पाइप से पौधों से पौधों की दूरी तय कर के छिद्र कर लें. अब छेदों में बीज या नर्सरी में तैयार पौधों का रोपण कर दें.

English Summary: Vegetable productivity can be increased by using plastic mulching
Published on: 15 January 2022, 04:16 PM IST

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