Weather Update: ठंड का यूटर्न! देश के कई राज्यों में बारिश की संभावना, गिरेगा पारा, पढ़ें IMD लेटेस्ट अपडेट! गन्ने की नई किस्म को.शा. 18231 और को.लख. 16202 की ऑनलाइन बुकिंग शुरू, ऐसे करें जल्द आवेदन स्ट्रॉबेरी की फसल में लगने वाले 9 प्रमुख रोग, ऐसे करें प्रबंधन, मिलेगी अच्छी उपज Cow Breeds: दुनिया की 7 सबसे छोटी गायों की नस्लें: कम खर्च, ज्यादा मुनाफा! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक लौकी की इन 5 हाइब्रिड किस्मों से किसान बनेंगे मालामाल, कम लागत में मिलेगी डबल पैदावार!
Updated on: 3 February, 2025 11:48 AM IST
फसल में करें ट्राइकोडर्मा का उपयोग

कृषि और बागवानी में जैविक विधियों का महत्व निरंतर बढ़ रहा है और इसी दिशा में ट्राइकोडर्मा एक महत्वपूर्ण जैविक एजेंट के रूप में उभर कर सामने आया है. ट्राइकोडर्मा एक लाभकारी कवक (fungus) है, जो प्राकृतिक रूप से मिट्टी में पाया जाता है और पौधों के स्वास्थ्य में कई सकारात्मक प्रभाव डालता है. यह कवक मिट्टी जनित रोगजनकों (soil-borne pathogens) को नियंत्रित करने, पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने, पोषक तत्वों की उपलब्धता सुधारने और फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके अतिरिक्त, यह पर्यावरण-अनुकूल है और रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के प्रयोग को कम करने में मदद करता है.

इस लेख में हम ट्राइकोडर्मा के चमत्कारिक लाभों पर विस्तृत चर्चा करेंगे, जिससे यह स्पष्ट होगा कि यह जैविक खेती और सतत कृषि पद्धतियों के लिए कितना उपयोगी है.

1. ट्राइकोडर्मा की माइकोपैरासिटिक क्षमताएं

ट्राइकोडर्मा एक माइकोपैरासाइट (Mycoparasite) के रूप में कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि यह हानिकारक कवकों (fungi) को नष्ट करने की क्षमता रखता है. यह निम्नलिखित तरीकों से कार्य करता है—

संक्रमण और प्रतिस्पर्धा: ट्राइकोडर्मा, हानिकारक कवकों की कोशिकाओं में प्रवेश कर उन्हें नष्ट कर देता है.

एनजाइमिक सक्रियता: यह चिटिनेज, ग्लूकानेज और प्रोटीज जैसे एंजाइम्स उत्पन्न करता है, जो रोगजनक कवकों की कोशिका भित्ति को तोड़ देते हैं.

स्पेस और पोषक तत्वों की प्रतिस्पर्धा: यह मिट्टी में तेजी से फैलता है और हानिकारक कवकों को पोषक तत्व ग्रहण करने से रोकता है.

यह क्षमता ट्राइकोडर्मा को विभिन्न पौधों की बीमारियों जैसे कि फ्यूजेरियम वर्टिसिलियम विल्ट, राइजोक्टोनिया सड़ांध और पाइथियम संक्रमण से बचाव के लिए एक शक्तिशाली जैव नियंत्रण एजेंट बनाती है.

2. जैविक नियंत्रण एजेंट के रूप में ट्राइकोडर्मा

ट्राइकोडर्मा का उपयोग कई पौधों के रोगजनकों के खिलाफ जैविक कवकनाशी (biofungicide) के रूप में किया जाता है. यह रोगों के प्रबंधन के लिए निम्नलिखित विधियों से कार्य करता है—

रोगजनकों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा: ट्राइकोडर्मा पौधों की जड़ों और राइजोस्फीयर पर तेजी से कॉलोनी बना लेता है, जिससे हानिकारक कवकों को स्थान नहीं मिल पाता.

एंटीबायोटिक यौगिकों का उत्पादन: ट्राइकोडर्मा वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOC) छोड़ता है, जो रोगजनक कवकों के विकास को बाधित करते हैं.

सिस्टमिक एक्वायर्ड रेजिस्टेंस (SAR) को प्रेरित करना: यह पौधों की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करता है, जिससे वे स्वयं रोगों का मुकाबला कर सकते हैं. इस प्रकार, ट्राइकोडर्मा का उपयोग रासायनिक कवकनाशकों के विकल्प के रूप में किया जा सकता है, जिससे पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम किया जा सकता है.

3. पौधों की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को सक्रिय करना

ट्राइकोडर्मा पौधों में प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाने में सहायक होता है. यह पौधों में सिग्नलिंग मार्ग (signaling pathways) को सक्रिय कर, उन्हें विभिन्न प्रकार के रोगजनकों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है.

यह पौधों में फाइटोएलेक्सिन्स और रोग-सम्बंधित (PR) प्रोटीन्स के उत्पादन को प्रेरित करता है, जो संक्रमण को रोकने में सहायता करते हैं.

यह पौधों में इंड्यूस्ड सिस्टमिक रेजिस्टेंस (ISR) उत्पन्न करता है, जिससे संपूर्ण पौधा संक्रमण के विरुद्ध अधिक सहनशील बनता है.

4. पोषक तत्वों की उपलब्धता में सुधार

ट्राइकोडर्मा पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाने में सहायक होता है. यह फॉस्फोरस, जिंक और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को घुलनशील बनाता है, जिससे पौधे उन्हें अधिक आसानी से अवशोषित कर सकते हैं. यह नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया के साथ सहजीवी संबंध स्थापित कर, मिट्टी में उपलब्ध नाइट्रोजन को पौधों के लिए अधिक उपयोगी बनाता है. जैविक अपघटन की प्रक्रिया में मदद कर, यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है.

5. पौधों के जड़ विकास को बढ़ावा देना

ट्राइकोडर्मा पौधों में ऑक्सिन और साइटोकाइनिन जैसे विकास हार्मोन का उत्पादन करता है, जिससे जड़ों की वृद्धि होती है. बेहतर जड़ प्रणाली के कारण पौधे अधिक पानी और पोषक तत्व ग्रहण कर सकते हैं. इससे पौधे सूखा, लवणता और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अधिक सहनशील हो जाते हैं.

6. नेमाटोड नियंत्रण में ट्राइकोडर्मा

  • ट्राइकोडर्मा कुछ पादप परजीवी नेमाटोड्स (Plant-Parasitic Nematodes) के खिलाफ भी प्रभावी है.
  • यह नेमाटोड के अंडों को निष्क्रिय करने और उनके जीवन चक्र को बाधित करने में मदद करता है.
  • यह मिट्टी के जैविक संतुलन को बनाए रखता है, जिससे नेमाटोड्स की संख्या नियंत्रित रहती है.

7. जैविक खाद और कार्बनिक पदार्थ का अपघटन

  • ट्राइकोडर्मा का उपयोग जैविक खाद (organic compost) के निर्माण में किया जाता है.
  • यह सेल्यूलोज, लिग्निन और अन्य कार्बनिक यौगिकों को तोड़कर पोषक तत्वों को मिट्टी में मिलाने में मदद करता है.
  • यह मिट्टी की संरचना सुधारता है और सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों को बढ़ावा देता है.

8. व्यावसायिक और व्यावहारिक उपयोग

आजकल ट्राइकोडर्मा का उपयोग विभिन्न कृषि उत्पादों में किया जा रहा है—

  • बीज उपचार: बीजों को ट्राइकोडर्मा घोल में भिगोकर बीज जनित रोगों से बचाया जाता है.
  • मृदा उपचार: ट्राइकोडर्मा को जैव उर्वरक के रूप में मिट्टी में मिलाया जाता है.
  • पत्तों पर छिड़काव: ट्राइकोडर्मा युक्त जैविक घोल पत्तियों पर छिड़ककर पत्तों के रोगजनकों से सुरक्षा प्रदान की जाती है.
English Summary: Use organic solutions instead of chemicals save crops by using Trichoderma
Published on: 03 February 2025, 11:55 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now