दलहनी फसलों में उड़द सबसे प्रमुख माना जाता है. उड़द एक ऐसी दलहनी फसल है, जिसकी खेती कर किसान कम समय में ही अच्छी कमाई कर सकते है. यह एक अल्प अवधि की फसल है, जो 60-65 दिनों में पक जाती है. उड़द की दाल में अनेक प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं.
इतना ही नहीं, ये भूमि को भी पोषक तत्व देता है, इसलिए इसकी मांग बाजार में भी ज्यादा है. भारत में इसकी खेती लगभग हर राज्य में होती है. गर्मी का मौसम उड़द की खेती (Urad Dal Farming) के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. ऐसे में गर्मी का मौसम आ गया है और अगर आप भी उड़द की खेती करने का मन बना रहे हैं, तो ये लेख आपके लिए ही है. तो आइए जानते हैं उड़द की खेती की पूरी जानकारी -
उड़द की खेती के लिए बुवाई का सही समय (Right time of sowing for cultivation of urad)
मुख्य रूप से उड़द की खेती गर्मी के मौसम में की जाती है. इसके पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए शुष्क और आद्र जलवायु वाले मौसम की जरूरत होती है, इसलिए ज्यादातर गर्मी के दिनों में ही उड़द की बुवाई अप्रैल के पहले सप्ताह तक की जा सकती है. इसके पौधों को शुरुआत में अंकुरित होने के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है और पौधों के विकास के समय 30 डिग्री का तापमान पर्याप्त होता है. हालांकि, ये 43 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान भी आसानी से सह सकता है. इससे अधिक तापमान इसके पौधों के उपयुक्त नहीं होता है. वही सामान्य बारिश में भी इसके पौधे अच्छे से विकास करते हैं.
उड़द की खेती करने का तरीका (method for urad cultivation)
उड़द की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. हालांकि गहरी काली मिट्टी पर भी इसकी खेती की जा सकती है. बस उसका पी एच मान 6.5 से 7.8 तक होना चाहिए. उड़द की खेती का अधिक उत्पादन लेने के लिए खेत को समतल करके उसमें जल निकास की उचित व्यवस्था कर देना बेहतर है.
उड़द की बुवाई का तरीका
इसके लिए लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर, पौधों से पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. वहीं बीज को 4 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं. अगर अच्छा उत्पादन लेना है तो जरूरत है कि खेत की अच्छी तैयारी की जाए. अगर भारी मिट्टी है,
तो अधिक जुताई की जरूरत होग और जमीन को समतल बनाने की. साथ ही इसे ऊंची बढ़वार वाली फसलों के साथ उगाना सही होता है.