इस समय रबी फसलों की कटाई की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ किसान आने वाले समय के लिए बुवाई की तैयारी में भी लगे हुए हैं. लॉकडाउन की वजह से जहां पहले से ही वे परेशान हैं, ऐसा न हो कि बुवाई संबंधित भी तरह-तरह की दिक्कतें उन्हें झेलनी पड़े.
अब सही समय पर सही फसल की बुवाई कर किसान अच्छी उपज के साथ मुनाफ़ा भी बेहतर पा सकते हैं. इसके लिए उन्हें यह भी जानना बहुत जरूरी है कि वे फसलों की बुवाई (crop cultivation) में किन फसलों को लें, जिससे उन्हें मुनाफ़ा बेहतर मिल सके. इसी कड़ी में अगर किसान सब्जियों की बुवाई करना चाहते हैं तो आज हम इसी संबंध में जानकारी देने वाले हैं कि किसान मई (may crops) में किन सब्जियों की खेती कर सकते हैं.
फूलगोभी की खेती (Cauliflower farming)
वैसे तो फूलगोभी की खेती आमतौर पर सितंबर से लेकर अक्टूबर तक की जाती है लेकिन इसकी उन्नत किस्मों की वजह से किसान पूरे साल इसकी खेती कर सकते हैं. मौसम की मार से बचने के लिए अगर किसान अगेती खेती करते हैं, तो फायदे में रहते हैं. किसान गर्मियों में भी गोभी की खेती कर सकते हैं. आपको बता दें कि जिस भूमि का पीएच मान 5 से 7 के मध्य हो, वह भूमि फूलगोभी के लिए उपयुक्त मानी गई है. वहीं अगेती फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी और पछेती के लिए दोमट या चिकनी मिट्टी उपयुक्त मानी गई है. किसान लगभग 25 दिन में फूलगोभी की नर्सरी तैयार करने के बाद रोपाई कर इसकी आसानी से खेती कर सकते हैं.
उन्नत किस्में - पूसा ज्वाला, मथानिया लौंग, आरसीएच 1, एक्स 235, चरपरी मसाले वाली - एन पी 46ए, पन्त सी-1, जी 3, जी 5, हंगेरियन वैक्स (पीली), पूसा सदाबहार, पंत सी-2, जवाहर 218, आरसीएच 1, एक्स 235, एल एसी 206.
मूली की खेती (Radish Farming)
भारत में मूली की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब, असम, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में की जाती है. मूली की बुवाई करने के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है लेकिन किसान पूरे साल भी इसकी खेती कर सकते हैं. मूली का अच्छा उत्पादन लेने के लिए जीवांशयुक्त दोमट या बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. बुवाई के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 के करीब होना अच्छा होता है. मूली के लिए गहरी जुताई बहुत जरूरी है क्योंकि इसकी जड़ें भूमि में गहरी जाती हैं. आपको बता दें कि उन्नत किसम के तहत मूली की पूसा चेतकी किस्म मई में बोई जा सकती है जो 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी और भी कई किस्में आप लगा सकते हैं.
उन्नत किस्में - जापानी सफ़ेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, आई.एच. आर1-1 एवं कल्याणपुर सफ़ेद.
बैंगन की खेती (Brinjal Farming)
किसान इस महीने बैंगन की खेती कर सकते हैं. इसके लिए जल निकासी वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. खेत में एक हेक्टेयर के लिए लगभग 4 से 5 ट्रॉली गोबर खाद का इस्तेमाल किसान ज़रूर करें. ये दो तरह के होते हैं. आप गोल बैंगन के साथ लम्बे बैंगन की भी बुवाई कर सकते हैं.
उन्नत किस्में
लम्बे बैगन: पूसा परपल क्लसटर, पूसा क्रान्ति, पूसा परपल लोंग, पन्त सम्राट, पंजाब सदाबहार.
गोल बैगन: एच- 4, पी- 8, पूसा अनमोल, पूसा परपल राउन्ड, पन्त ऋतु राज, पी बी- 91-2, टी- 3, एच- 8, डी बी एस आर- 31, डीबी आर- 8.
संकर किस्में: अर्का नवनीत, पूसा हाइब्रिड- 6.
प्याज की खेती (Onion Farming)
लगभग 140 से 145 दिन में तैयार होने वाली प्याल की फसल वैसे तो ठण्डे मौसम की फसल है, लेकिन इसे खरीफ़ मौसम में भी उगाया जा सकता है. इसकी खेती के लिए उचित जलनिकास एवं जीवांशयुक्त उपजाऊ दोमट तथा बलुई दोमट भूमि जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के बीच हो, उचित मानी गई है. किसान प्याज की नर्सरी तैयार करके इसकी खेती कर सकते हैं. खरीफ़ मौसम के लिए एक हेक्टेयर प्याज रोपने के लिए लगभग 10 से 15 किलो बीज की नर्सरी डालनी चाहिए.
उन्नत किस्में - एग्रीफाउंड लाइट रेड, एन-53, एग्रीफाउंड डार्करेड, भीमा सुदर, रेड (एल-652), अर्का कल्याण, अर्का प्रगति.