Hydroponics Farming Method: बढ़ती जनसंख्या वृद्धि और खेती योग्य भूमि की कम उपलब्धता ने लोगों को पेट भरने के लिए एक नया तरीका अपनाने के लिए प्रेरित किया है. उनमें से एक हाइड्रोपोनिक्स खेती है, जिसके लिए कम क्षेत्र की आवश्यकता होती है और यह सर्वोत्तम गुणवत्ता के साथ उच्च उत्पादन देती है. पौधे मिट्टी रहित मीडिया–समाधानों में उगाए जाते हैं. इस खेती तकनीक में बाग़वान द्वारा पौधों की उगाई जाने वाली पर्यावरण को नियंत्रित करने की क्षमता, पानी और खाद का उपयोग कम करने की क्षमता और उत्पादन में वृद्धि करने की क्षमता शामिल होती है.
हाइड्रोपोनिक्स खेती विधि का उपयोग फल और सब्जियों सहित विभिन्न फसलों को उगाने के लिए किया जा सकता है. हाइड्रोपोनिक खेती हमारी दुनिया की कई मौजूदा कृषि समस्याओं का समाधान प्रदान करती है. शहरी किसान तेजी से हाइड्रोपोनिक्स की ओर रुख कर रहे हैं, जो छतों पर कीटनाशक मुक्त उपज उगाने की एक जल-बचत विधि है. एक शोध के अनुसार, भारत में हाइड्रोपोनिक्स बाजार 2020 और 2027 के बीच 13.53 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने की उम्मीद है.
कैसे होती है हाइड्रोपोनिक खेती?
हाइड्रोपोनिक खेती मिट्टी के बिना पौधों एवं साग-सब्जी को उगाने की एक बेहतरीन विधि है. हाइड्रोपोनिक खेती पाइपों के माध्यम से की जाती है, इसमें पाइपों के ऊपरी हिस्सा में निर्धारित दुरी पर छेद की जाती है. पाइपों में पौधों को पोषक तत्वों से भरपूर घोल में उगाया जाता है जो उनके विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है. जड़ों को घोल में डुबाया जाता है, जिससे वे पोषक तत्वों और पानी को अपनी आवश्यकता अनुसार अवशोषित कर पाते हैं.
हाइड्रोपोनिक्स खेती के लाभ
हाइड्रोपोनिक्स एक रेगिस्तान, सूखे क्षेत्र, छतें, गंदे मिट्टी क्षेत्र या उन किसी भी पर्यावरण में उपयोग किया जा सकता है, जहां पारंपरिक कृषि संभव नहीं होगी. हाइड्रोपोनिक्स खेती के बहुत सारे लाभ हैं और इससे विभिन्न जलवायु और स्थानों में उच्च उत्पादन हासिल किया जा सकता है. हाइड्रोपोनिक्स खेती में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए यह उन क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है जहां पौधों की खेती के लिए परंपरागत कृषि के लिए उचित प्राकृतिक संसाधन नहीं होते हैं. साथ ही, हाइड्रोपोनिक्स खेती में मिट्टी–आधारित खेती की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे यह प्रभावी और पर्यावरण के प्रति सजग होता है.
हाइड्रोपोनिक सिस्टम के प्रकार
हाइड्रोपोनिक सिस्टम के कई प्रकार से काम करती हैं और उसके अपने फायदे और नुकसान भी हैं. हाइड्रोपोनिक सिस्टम के 6 अलग-अलग प्रकार है. जो निम्नानुसार है-
- डीप वाटर कल्चर (DWC) सिस्टम
- न्यूट्रेंट एलिमेंट फिल्म तकनीक (NFT) सिस्टम
- ड्रिप सिस्टम
- एब्ब एन्ड फ्लो(फ्लड और ड्रेन) सिस्टम
- एरोपोनिक्स
- विक सिस्टम
हाइड्रोपोनिक पोषण माध्यम की संरचना
पानी के अलावा, हाइड्रोपोनिक विकास माध्यम में रॉकवूल, हाइड्रोकॉर्न (छोटी मिट्टी की चट्टानें), नारियल फाइबर या चिप्स, पेर्लाइट, रेत और वर्मीक्यूलाइट शामिल हो सकते हैं. ये तत्व “निष्क्रिय” होते हैं और पोषक विलयन के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं. इन तत्वों की झरझरा प्रकृति पौधों को पोषक तत्वों की आपूर्ति में मदद करती है.
हालांकि, किसी भी कवक या मोल्ड के विकास से बचने के लिए नमी के स्तर की नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए. अन्यथा, यह टयूबिंग सिस्टम को रोक देगा, और अंततः पौधे मर सकते हैं.
हाइड्रोपोनिकली उगाए जाने वाले पौधे
आमतौर पर हाइड्रोपोनिकली उगाए जाने वाले पौधों में टमाटर, मिर्च, खीरे, स्ट्रॉबेरी, लेट्यूस, धनिया और पालक शामिल है, जो आमतौर पर वाणिज्यिक उपयोग के लिए होते हैं.
लेखक :-
नीरज (सहायक प्राध्यापक, उद्यान विभाग)
रमेश कुमार गुप्ता (यंग प्रोफेशनल-II, पीएफडीसी, समस्तीपुर, सहायक प्रोफेसर सह वैज्ञानिक)
डॉ राजीव कुमार श्रीवास्तव (सह-प्राध्यापक (सस्य विज्ञान), बीज निदेशालय, ढोली- 843121 मुजफ्फरपुर)
डॉ सुधानंद प्रसाद लाल (पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन, डा0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर (बिहार)-848125)