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Updated on: 11 October, 2022 12:22 PM IST
Two new varieties of wheat

New Wheat Varieties 1634 And 1636: किसानों के लिए सबसे प्रमुख सीजन में से एक रबी सीजन की शुरुआत अब होने वाली है. ऐसे में किसान अभी से ही इस सीजन की फसलों की खेती की तैयारी में जुटे हुए हैं.

अगर भारत के ज्यादातर किसानों की बात की जाएं तो रबी सीजन में किसान गेहूं की खेती करते हैं और यहीं उनके मुख्य कमाई का जरिया होता है. इसलिए कृषि जागरण किसान भाईयों के लिए गेहूं की दो ऐसी नई किस्म के बारे में बताने जा रहा है जो अभी-अभी विकसित की गई हैं. ये दोनों नई किस्मों की खेती कर किसान गेहूं से अच्छा पैदावार पा सकते हैं, जिससे उनके आय में बढ़ोतरी हो सकती है.

गेहूं की नई किस्में 1634 और 1636 के बारे में विस्तार से जानें

मध्य प्रदेश में किया गया विकसित

गेहूं की ये दोनों नई किस्मों को मध्य प्रदेश में विकसित किया गया है. इस पर पहले साल में इंदौर के अनुसंधान में शोध किया गया और अगले दो सालों में इंदौर सहित नर्मदापुरमजबलपुर और सागर अनुसंधान केंद्रों में प्लाटं लगाकर इसपर शोध किया गया. इस शोध में पता चला कि ये दोनों गेहूं की किस्में उच्च तापमान में भी समय से पहले नहीं पकती हैं.

बता दें कि नर्मदापुरमइंदौरजबलपुर और सागर अनुसंधान केंद्रों में 3 साल के शोध के बाद आम किसानों को गेहूं की नई किस्में 1634 और 1636 का सर्टिफाइड बीज इस रबी सीजन में बाजार में उपलब्ध होगा. बता दें कि गेंहू 1634 की फसल 110 दिन और 1636 की 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है.

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समय से पहले नहीं पकेगी गेहूं की ये दोनों नई किस्में

समय से पहले नहीं पकने का साफ मतलब ये है कि इससे पैदावार कम नहीं होगी. जैसा की बीते वर्ष या फिर कई बार ये देखने को मिला है कि फरवरी और मार्च के महीने में तापमान उच्चतम स्तर पर चला जाता है, जिससे गेहूं की फसल खेतों में खड़े-खड़े जल जाती है यानी समय से पहले पक जाती है और बर्बाद हो जाती है. 

इससे उपज कम हो जाती है या फिर गेहूं की क्वालिटी यानी उसके दाने उतने सही नहीं निकलते जितने निकलने चाहिए थे. ऐसे में इन दोनों गेहूं की नई किस्मों के समय से पहले नहीं पकने का दावा है.

English Summary: Two new varieties of wheat 1634 and 1636 will make farmers rich! Crop will not ripen prematurely even in extreme heat, yield will increase
Published on: 11 October 2022, 12:27 PM IST

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