रजनीगंधा की खेती (Tuberose Cultivation) से आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आम तौर पर इसको "निशीगंधा" के नाम से भी जाना जाता है. इसे सदाबाहार उगने वाली जड़ी-बूटियों (Medicinal Plants) की श्रेणी में रखा गया है. फूल एवं सुगन्ध उद्योग के लिए रजनीगंधा की खेती (Rajanigandha Cultivation) भारत में बड़े स्तर पर की जाती है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं आपको विस्तार से...
रजनीगंधा की खेती के लिए जलवायु (Climate for Rajanigandha Cultivation)
इसकी खेती के लिए उष्ण तथा उपोषण जलवायु बेहतर है. इसकी सबसे अधिक मांग महानगरों जैसे बंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली व मुम्बई आदि में है.
रजनीगंधा की खेती के लिए मिट्टी (Soil for Rajanigandha Cultivation)
इसकी खेती रेतीली और चिकनी मिट्टी में सबसे बेहतर होती है. मिट्टी का पीएच मान अगर 6.5-7.5 तक का है, तो उपज अधिक होने की संभावना है.
रजनीगंधा की खेती के लिए तैयारी (Preparation for Rajanigandha Cultivation)
रजनीगंधा की खेती के लिए भूमि की जुताई अच्छे से करें. मिट्टी को भुरभुरा बनाने के बाद उसे समतल कर लें. रोपण के वक्त 10-12 टन रूडी खाद का उपयोग कर सकते हैं.
रजनीगंधा की खेती के लिए बीज (Seeds for Rajanigandha Cultivation)
बिजाई के लिए रोपण में 45 सेंटीमीटर तक का अंतर रखें. बीजों की बुवाई 5-7 सेंटीमीटर की गहराई में प्रजनन विधी द्वारा की जानी चाहिए.
रजनीगंधा की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Rajanigandha Cultivation)
इसकी फसल को सप्ताह में एक बार सिंचाई की जरूरत है. मिट्टी और जलवायु की जरूरतों को देखते हुए सिंचाई की अवधी अलग हो सकती है. खरपतवारों को हटाने के लिए समय-समय पर निड़ाई-गुड़ाई का काम करते रहें. इस पौधें को मुख्य तौर पर तना गलने वाली बीमारी से बचाना होता है, ऐसे में खेतों में जल जमाव न होने दें.
रजनीगंधा की खेती के लिए तुड़ाई (Harvesting for Rajanigandha Cultivation)
इसके फूलों के खिलने का समय अगस्त-सितंबर महीना है. तुड़ाई का काम निचले 2-3 फूलों के खिलने के बाद शुरू कर देना चाहिए. डंडियों को तीखे चाकू से काटना चाहिए.
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