जैसा कि आप जानते हैं कि अभी रबी का सीजन चल रहा है. इस दौरान देश के ज्यादातर किसान बड़े पैमाने पर परंपरागत तौर पर गेहूं की खेती करने पर जोर देते हैं. लेकिन अगर आप इस सीजन में अधिक लाभ कमाना चाहते हैं, तो आपको परंपरागत खेती की जगह अन्य दलहनी फसलों की खेती करने पर विचार करना चाहिए.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बहुत कम समय में अच्छा मुनाफा कमाकर देने वाली फसलों में चने की खेती है, जिसे दलहनी फसलों का राजा भी कहा जाता है.
चने की खेती
एक सर्वे से पता चला है कि उत्तर भारत में चने का उत्पादन सबसे अधिक किया जाता है. क्योंकि संरक्षित नमी वाले शुष्क क्षेत्र चने की खेती के लिए बेहद उपयुक्त होते हैं और साथ ही इसके लिए 60 से 90 सेमी बारिश अच्छी होती है. अगर आप सर्दी के मौसम में चने की खेती करने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो इसके लिए 24 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा होता है. इस तापमान में ठंड के मौसम में चने के पौधे अच्छे से विकसित होते हैं.
भूमि का चयन
इसकी खेती के लिए आपको ऐसी भूमि का चयन करना होगा. जो हल्की से भारी मिट्टी के हों और साथ ही जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था भी होनी चाहिए. मिट्टी का PH मान 5.5 से 7 तक होना चाहिए. इस PH मान में पौधे अच्छे से विकसित होते हैं.
चने की देसी किस्में (Indigenous varieties of Gram)
जी. एन. जी. 2171 (मीरा) : इस किस्म की फली में 2 या इसे अधिक दाने पाए जाते हैं, जो लगाने के लगभग 150 दिन में पक जाती है. इस किस्म के चने से किसान 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त कर लेता है.
जी.एन. जी. 1958 (मरुधर) : इस किस्म के बीज का रंग हल्का भूरा होता है, जो लगाने के 145 दिन के अंदर पक कर तैयार हो जाती है.
जी.एन. जी. 1581 (गणगौर): यह बीज हल्के पीले रंग के होते है. इसे किसान औसत उपज 24 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त कर सकते है.
आर. वी. जी. 202 : इस पौधे की ऊंचाई दो फीट से भी कम होती है. इसकी खेती से किसान लगभग एक हैक्टेयर में 22 से 25 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते है.
जी.एन. जी. 2144 (तीज): यह बीज हल्के भूरे रंग के होते है. इसकी फसल लगभग 130 से 135 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है.
जी. एन. जी. 1488 (संगम) : यह बीज भूरे रंग के होते हैं. इस बीज की सतह चिकनी होती है, जो करीब 130 से 135 दिन में पक जाता है.
आर. एस. जी. 888 : यह बीज खेत में लगाने के 141 दिन के अंदर पक जाता है. इससे किसान औसतन 21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन प्राप्त कर सकता है.
जी.एन. जी. 1969 (त्रिवेणी) : यह बीज रंग में मटमैला सफेद क्रीम का होता है, जो पूरी तरह से 146 दिन में पककर तैयार हो जाता है.
जी. एन. जी. 1499 (गौरी) : चने की यह किस्म भी मटमैला सफेद क्रीम रंग की होती है, जो करीब 143 दिन में पककर तैयार हो जाता है.
जी.एन. जी. 1292 : यह किस्म झुलसा, एस्कोकाईटा ब्लाइट, शुष्क जड़गलन आदि रोगों का प्रतिरोधी माना जाती है. किसान अगर इसे अपने खेत में लगाते हैं, तो यह 147 दिन में पक जाती है.