फूलगोभी को अधिकतर लोग खाना पसंद करते हैं, इसलिए इस सब्ज़ी की बाज़ार में हमेशा मांग बनी रहती है. साथ ही, इस सब्ज़ी में अनेक पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिनमें बी6, बी9 (फोलेट) और बी5 (पैंटोथेनिक एसिड) शामिल हैं, जो शरीर के लिए बहुत लाभकारी होते हैं. वहीं, अक्टूबर का महीना इस सब्ज़ी की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इस महीने में हल्की ठंड और नमी रहती है, जो इस फसल की पैदावार और गुणवत्ता के लिए अनुकूल होती है.
अगर किसान इस मौसम में फूलगोभी की पूसा दीपाली, पूसा हिमानी, पूसा शरद, पूसा कार्तिक संकर, हिसार-1, स्नोबॉल-16 किस्मों की खेती करते हैं, तो वह शानदार मुनाफा कमा सकते हैं.
क्यों खास है अक्टूबर में फूलगोभी की खेती?
अक्टूबर का महीना फूलगोभी के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है. यह वह समय है जब तापमान धीरे-धीरे गिरने लगता है और मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहती है. साथ ही, इस महीने रोपाई करने पर पौधों का विकास अनुकूल तरीके से होता है, जिससे वे मजबूत जड़ें और बेहतर फूल विकसित कर पाते हैं.
पौध रोपाई की विधि
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फूलगोभी की रोपाई अक्टूबर के पहले हफ्ते में करनी चाहिए.
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फूलगोभी के बीज बोने के करीब 25 से 30 दिन बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
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हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि पौधों को एक कतार में 45 से 60 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं और रोपाई के बाद खेत की हल्की सिंचाई कर दें, ताकि पौधे जल्दी मिट्टी में सही तरीके से जम जाएं.
फूलगोभी की उन्नत किस्में
इस मौसम में फूलगोभी की कुछ उन्नत किस्में किसानों के लिए काफी लाभदायक हो सकती हैं. किसान इन किस्मों की बुवाई करके अच्छी कमाई कर सकते हैं:-
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पूसा दीपाली
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पूसा हिमानी
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पूसा शरद
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पूसा कार्तिक संकर
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हिसार-1
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स्नोबॉल-16
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जापानी किस्में
किसानों को कितना होगा लाभ?
जैसा कि आप जानते हैं, अक्टूबर में बोई गई फूलगोभी दिसंबर से फरवरी के महीनों में मंडी में आना शुरू हो जाती है. वहीं, किसान अगर अपनी एक एकड़ भूमि में उन्नत किस्म की फूलगोभी की खेती करते हैं, तो वे 250 से 300 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. औसतन 10-15 रुपये प्रति किलो की दर से किसान 2.5 से 3 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. दूसरी किस्मों की तुलना में, अगर किसान इन उन्नत किस्मों की खेती करते हैं, तो आमदनी में 25 से 30% तक का अतिरिक्त लाभ हो सकता है.
रोग और कीट से कैसे करें बचाव?
फूलगोभी ऐसी फसल है जिसमें तना छेदक, झुलसा रोग, एफिड्स और थ्रिप्स जैसे कीट व रोगों का खतरा बना रहता है. ऐसे में किसानों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. यदि किसान जैविक उपायों का प्रयोग करें, तो वे अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं. जैसे:
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5 मिली नीम का तेल प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें.
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आवश्यकतानुसार अनुशंसित जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें.
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खेत की साफ-सफाई का ध्यान रखें और रोगग्रस्त पौधों को तुरंत खेत से हटा दें, ताकि वे अन्य पौधों को संक्रमित न कर सकें.