मध्यप्रदेश को देश का कृषि प्रधान राज्य माना जाता है क्योंकि यहां की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है. किसान लगातार ऐसी किस्मों की तलाश में रहते हैं जो उन्हें उच्च उत्पादन और अधिक लाभ दिला सकें. खरगोन जिले में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर होती है, और वहां के किसान नवंबर में ऐसी गेहूं किस्मों की तलाश में हैं, जो बरसात की बची हुई नमी का भरपूर उपयोग कर उन्हें बेहतर उत्पादन दे सकें. यदि यहां के किसान गेहूं की ये 5 किस्में – HI 1544, GW 322, GW 366, HI 1636 और HI 1658 की बुवाई करते हैं, तो वे निश्चित रूप से बंपर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
गेहूं की 5 बेहतरीन वैरायटी
- एचआई 1544 (HI 1544)
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यह किस्म जल्दी पकने वाली, मजबूत और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली होती है.
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दाने चमकदार होते हैं और इससे बना आटा नरम रोटियों के लिए उपयुक्त होता है.
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प्रति एकड़ लगभग 60 क्विंटल तक उपज मिल सकती है.
- जी डब्ल्यू 322 (GW 322)
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यह किस्म उच्च उपज क्षमता वाली है, जो 60–65 क्विंटल/हेक्टेयर तक उत्पादन दे सकती है.
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सूखा सहनशील है और इसे केवल 3–4 सिंचाई की आवश्यकता होती है.
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यह किस्म 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
- जी डब्ल्यू 366 (GW 366)
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यह मध्यम अवधि की किस्म है जिसमें प्रोटीन अधिक, स्वाद और सुगंध बेहतर होती है.
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इसकी बुवाई का आदर्श समय 15 नवंबर के आसपास है.
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औसत उपज 55–60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल सकती है.
- एचआई 1636 (HI 1636) / पूसा वकुला
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यह किस्म कम पानी में भी बेहतर उपज देती है.
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इससे बनी रोटियां नरम और स्वादिष्ट होती हैं.
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औसत उपज 56.6 क्विंटल/हेक्टेयर और संभावित उपज 78.8 क्विंटल/हेक्टेयर तक जा सकती है.
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इसमें जिंक 44.4 PPM और प्रोटीन 11.3% होता है.
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यह तापमान परिवर्तन के प्रति भी सहनशील है.
- एचआई 1658 (HI 1658)
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यह किस्म ठंडे मौसम में अच्छा प्रदर्शन करती है.
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औसत उपज 5.5 टन/हेक्टेयर (55 क्विंटल) तक होती है.
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बाजार में यह किस्म ‘चपाती क्वालिटी गेहूं’ के नाम से प्रसिद्ध है.
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इसे पकने में लगभग 125 दिन लगते हैं.
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यह किस्म केवल मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा और तमिलनाडु के मैदानी क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है.
कितना होगा उत्पादन और लाभ?
अगर किसान इन वैरायटी की बुवाई नवंबर में करते हैं, तो वे प्रति एकड़ 18 से 20 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. इन किस्मों की खासियत है कि:
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इनसे बनी चपातियां मुलायम और स्वादिष्ट होती हैं.
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बाजार में इन गेहूं किस्मों की डिमांड अधिक होती है.
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उच्च गुणवत्ता के कारण बेहतर दाम मिलते हैं.
इस तरह किसान कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं और अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं.