रबी सीजन की शुरुआत होते ही किसान गेंहू की ऐसी किस्मों की खोज में रहते हैं जिनकी खेती से कम लागत और कम समय में बढ़िया उपज मिल सकें. अभी हाल ही में दीनदयाल शोध संस्थान के लाल बहादुर शास्त्री, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के वैज्ञानिक ने उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के किसान को गेंहू की कुछ उन्नत किस्मों- DBW 187, DBW 222, DBW 303 और DBW 326, HD 3226 की खेती करने का सुझाव दिया है. अगर किसान इन किस्मों की बुवाई करें क.रें तो अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
गेंहू की उन्नत किस्में
DBW 187
किसान गेंहू की इस वैरायटी से 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज पा सकते हैं. यह किस्म केवल 122 दिनों के भीतर तैयार होने के साथ ही उत्तर पूर्वी मैदानी इलाके बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिमी बगांल और असम में खेती के लिए उचित मानी जाती है. अगर किसान इस किस्म की बुवाई 5 नवंबर से 25 नवंबर के बीच करते हैं तो बढ़िया पैदावार पा सकते हैं.
DBW 222
गेंहू की यह किस्म किसानों को बदलते मौसम में भी अच्छी उपज देने की क्षमता रखती है. इसकी वजह है यह किस्म सूखा और अधिक तापमान झेलने में सक्षम है. इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) करनाल ने विकसित किया है. यह किस्म किसानों को 142 दिनों में प्रति हेक्टेयर 65 से 80 क्विंटल तक की पैदावार दे सकती है. और अगर किसान भाई इस किस्म की बुवाई 25 अक्टूबर से 25 नवंबर तक करें, तो अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
DBW 303
किसानों के लिए गेंहू की यह किस्म मुनाफे का सौंदा बन सकती है. इस किस्म की खासियत है इसके भरपूर मोटे दाने और साथ ही यह किस्म केवल 160 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है, वहीं किसान अगर इस उन्नत किस्म का चुनाव करते हैं तो वह इससे 97.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की बढ़िया उपज अर्जित कर सकते हैं और साथ ही यह किस्म पीला, काला रतुआ रोगों के प्रतिरोधक है.
DBW 326
गेंहू की इस किस्म की बात ही निराली है. किसान अगर किस्म की बुवाई करें तो वह तकरीबन 156 दिनों में इसकी उपज पा सकते हैं.
HD 3226
गेंहू की ये किस्म उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के किसानों के लिए यह उत्तम किस्म है, क्योंकि यह किस्म किसानों को केवल 142 दिनों में अच्छी पैदावार दे देती है. इस किस्म की खासियत है कि इसमें उच्च प्रोटीन 12.8 % पाया जाता है और यह किस्म किसानों को लगभग 57.5 से 79.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक अच्छा उत्पादन दे सकती है, वहीं इस किस्म की बाजार में भी अधिक मांग रहती वो इसलिए इस किस्म के आटे की गुणवत्ता उत्तम होती है जिसका इस्तेमाल चपाती बनाने के लिए ज्यादा किया जाता है.