Cucumber Varieties: खीरे को कद्दूवर्गीय सब्जियों में सबसे महत्वपूर्ण फसल माना जाता है. देश के ज्यादातर किसान जयाद सीजन में खीरे की खेती/ Kheere Ki Kheti करते हैं. क्योंकि गर्मियों के मौसम में खीरे की मांग बाजार में काफी अधिक होती है. ऐसे में अगर किसान इन दिनों अपने खेत में खीरे की उन्नत किस्मों की खेती/ Cultivation of Varieties of Cucumber करते हैं, तो वह समय रहते बाजार से अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. इसी क्रम में आज हम किसानों के लिए खीरे की टॉप 5 उन्नत किस्मों/ Top 5 Varieties of Cucumber की जानकारी लेकर आए हैं. खीरे की उन्नत किस्में स्वर्ण अगेती, पंत संकर खीरा-1, पूसा संयोग, स्वर्ण पूर्णिमा और स्वर्ण शीतल किस्म है.
बता दें कि खीरे ये टॉप 5 उन्नत किस्में/Top 5 Varieties of Cucumber लगभग प्रति हेक्टेयर 350 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम है. ऐसे में आइए खीरे की इन उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं...
खीरे की टॉप 5 उन्नत किस्में/ Top 5 Varieties of Cucumber
खीरे की स्वर्ण अगेती किस्म - किसान खीरे की इस किस्म की बुवाई के 40-2 दिनों के बाद ही फसल की पहली तुलाई कर ली जाती है. इस किस्म के फल मध्य आकार के होते हैं. वहीं, इसके फलों का रंग हरा होता है. किसान खीरे की स्वर्ण अगेती किस्म से प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
खीरे की पंत संकर खीरा-1 किस्म- यह किस्म खेत में बुवाई के करीब 50 दिन बाद ही फलों की तुड़ाई कर ली जाती है. इस किस्म के खीरे भी मध्यम आकार के है. किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 300-350 क्विंटल पैदावार ले सकते हैं.
खीरे की पूसा संयोग किस्में- खीरे की पूसा संयोग किस्म को हाइब्रिड किस्म माना जाता है. क्योंकि इस किस्म के फल 22-30 सेंटीमीटर लंबे होते हैं. इस किस्म के खीरे बेलनाकार के होते हैं. वहीं, पूसा संयोग किस्म के खीरे लगभग 50 दिन में पूरी तरह से पककर तैयार हो जाते हैं. किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
खीरे की स्वर्ण पूर्णिमा किस्म - स्वर्ण पूर्णिमा किस्म के खीरे लंबे, सीधे और हल्के हरे रंग के होते हैं. खेत में इसकी बुवाई के 45-50 दिन बाद ही फल प्राप्त किए जा सकते हैं. किसान खीरे की स्वर्ण पूर्णिमा किस्म से प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
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खीरे की स्वर्ण शीतल किस्म - खीरे की स्वर्ण शीतल किस्म के फल मध्यम आकार के होते हैं. इस किस्म को चूर्णी फफूंदी और श्याम वर्ण प्रतिरोधी किस्म होती है. किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर लगभग 300 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.