खरीफ सीजन में देश के किसान भाइय़ों के लिए धान की फसल सबसे अधिक फलदायक मानी जाती है. देखा जाए तो इस समय भारत के कई हिस्सों में मानसून की बारिश (Monsoon Rain) हो रही है, जिसके चलते किसान साथियों ने अपने खेत में रोपाई का कार्य तेजी से करना शुरू कर दिया है.
ऐसे में किसानों को अपने खेत में धान की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए धान की उन्नत वैरायटी को अपनाना चाहिए. हमारे देश में ऐसे भी कुछ किसान हैं, जो धान की अच्छी किस्मों (Good Varieties of Paddy) के बारे नहीं जानते हैं, जिसके चलते वह अपनी फसल से न तो अच्छा उत्पादन प्राप्त कर पाते हैं और न ही उन्हें अधिक मुनाफा मिलता है. इसी सिलसिले में आज हम आपके लिए धान की 5 उन्नत किस्मों (Top 5 Paddy Variety) की जानकारी लेकर आए हैं. जो निम्नलिखित है.
पूसा 834 बासमती धान (Pusa 834 Basmati Paddy Variety)
यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित की गई है. जोकि एक अर्ध बौनी किस्म है. यह करीब 125-130 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है. साथ ही यह किस्म जीवाणु पत्ती झुलसा रोग के लिए प्रति प्रतिरोध मानी जाती है.
पंत धान-12 (Pant Paddy-12 Variety)
धान की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने G.B. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी द्वारा तैयार की गई है. यह भी 110-115 दिनों में पक जाती है और पंत धान-12 किस्म भी अर्ध-बौनी किस्म होती है. इससे किसान प्रति हेक्टेयर 7-8 टन अनाज का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
PHB 71 (PHB 71 Paddy Variety)
यह किस्म फिलीपींस में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) द्वारा तैयार की गई है जिसे पकने में 105-110 दिनों तक का समय लगता है. देखा जाए तो इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर 6-7 टन धान की उपज प्राप्त कर सकता है. बता दें कि इसमें ब्लास्ट रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है.
SKUAST-K धान (SKUAST-K Paddy Variety)
धान की इन उन्नत किस्म को भारत में शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST) ने बनाया है जिसे पकने में करीब 135-140 दिन का समय लगता है. यह किस्म भी PHB 71 की तरह एक हेक्टेयर से 6-7 टन धान की उपज देती है.
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पूसा-1401 बासमती धान (Pusa-1401 Basmati Paddy Variety)
इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के सहयोग से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने तैयार किया है. देखा जाए तो इसे पकने में 135-140 दिन का समय लगता है. लेकिन यह एक हेक्टेयर से किसानों को 4-5 टन फसल देती है. धान की यह किस्म बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, ब्लास्ट रोग और लवणता के लिए प्रतिरोधक होती है.