अगर सरसों की खेती करना चाहते हैं, तो आज हम आपको सरसों की कुछ ऐसी बेहतरीन किस्मों की जानकारी देंगे, जिनकी बुवाई करके आप अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। बता दें कि अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर तक का समय रबी सीजन की बुवाई के लिए उत्तम माना जाता है। ऐसे में यदि किसान इन सरसों की उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों का चयन करते हैं, तो उन्हें बेहतर मुनाफा मिल सकता है।
सरसों की 5 उत्तम किस्में
- जवाहर सरसों-3 (Jawahar Sarson-3)
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इस किस्म को पकने में लगभग 142 दिन का समय लगता है।
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औसत बीज उपज 27.10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
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इस किस्म में तेल की मात्रा लगभग 38% होती है।
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यह किस्म सिंचित अवस्था में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है। इसके पौधे मजबूत होते हैं और गिरने की संभावना कम होती है।
- राज विजय सरसों-2 (Raj Vijay Sarson-2)
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पकने की अवधि लगभग 120–130 दिन होती है।
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उत्पादन क्षमता 20–25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
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तेल की मात्रा लगभग 37–39% तक होती है।
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यह किस्म सूखा सहनशील और रोग प्रतिरोधक होती है, इसलिए असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
- पूसा जय किसान (Pusa Jai Kisan)
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यह किस्म उत्तर और मध्य भारत की जलवायु के लिए उपयुक्त है।
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पकने की अवधि लगभग 140 दिन होती है।
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उत्पादन क्षमता लगभग 18–20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
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किसान इस किस्म की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
- आरएच-725 (RH-725)
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इस किस्म में तेल की मात्रा लगभग 39% तक होती है।
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प्रति एकड़ 12 क्विंटल तक (कुछ क्षेत्रों में 15 क्विंटल तक) उत्पादन हो सकता है।
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पकने की अवधि 140 से 145 दिन होती है।
- आरएच-749 (RH-749)
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यह नई पीढ़ी की हाईब्रिड किस्म है, जो जलवायु परिवर्तन और तापमान के उतार-चढ़ाव में भी टिकाऊ रहती है।
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उत्पादन क्षमता 27 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
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इस किस्म में 38-39% तक तेल की मात्रा होती है, जिससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हो सकती है।
बुवाई कैसे करें?
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सरसों की इन किस्मों की बुवाई किसान देसी हल, सरिता या सीड ड्रिल की मदद से कतारों में करें।
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कतार से कतार की दूरी लगभग 10 से 12 सेंटीमीटर रखें।
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बीजों की बुवाई 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर करें।
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इससे पौधों की वृद्धि बेहतर होगी और फल की पैदावार अधिक मिलेगी।