Garlic Varieties: लहसुन एक ऐसी नकदी फसल है जिसकी मांग बारहों महीने बनी रहती है, इसलिए इसे किसान “सफेद सोना” भी कहते हैं. इसकी खेती देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है. लहसुन की खासियत यह है कि इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है और किसान इसे अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी बाजार में बेचकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं. यही वजह है कि आजकल किसान पारंपरिक दलहनी और तिलहनी फसलों की बजाय उच्च लाभ देने वाली लहसुन की खेती को अधिक महत्व देने लगे हैं.
इसके अलावा, लहसुन की मुख्य भूमिका केवल खाद्य उपयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आयुर्वेदिक दवाइयों, मसालों, घरेलू उपचारों, प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और निर्यात बाजार में भी बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है. इस बढ़ती मांग का सीधा लाभ किसानों को मिलता है. खासकर उन किसानों को जो उच्च उपज (High Yield) और बाजार में अधिक मांग वाली किस्मों की खेती करते हैं. अगर आप भी इस रबी सीजन में लहसुन की खेती का प्लान बना रहे हैं, तो आपको इन तीन टॉप किस्मों- यमुना सफेद-3 (G-282), एग्रीफाउंड पार्वती (G-313) और ऊटी के बारे में ज़रूर जानना चाहिए, क्योंकि ये किस्में कम समय में अधिक उत्पादन देने के लिए जानी जाती हैं.
- यमुना सफेद-3 (G-282)
लहसुन की किस्म यमुना सफेद-3 (G-282) एक उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है, जिसकी देशभर में काफी मांग रहती है. इसका आकार बड़ा, छिलका सफेद और बल्ब मजबूत होते हैं. प्रत्येक बल्ब में लगभग 15-16 कली होती हैं, जो इसे बाजार में अन्य किस्मों से अलग पहचान देती हैं. इस किस्म को व्यापारी और उपभोक्ता दोनों अधिक पसंद करते हैं, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिलते हैं.
विशेषताएं
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किसान इस किस्म से 175-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज पा सकते हैं.
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यह किस्म 120–140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
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यह किस्म मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए अत्यधिक उपयुक्त है.
- एग्रीफाउंड पार्वती (G-313)
भारत में लहसुन की मांग सालभर बनी रहती है- औषधीय उपयोग, मसालों और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में इसकी खपत लगातार बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में एग्रीफाउंड पार्वती (G-313) किसानों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है. इसका रंग गुलाबी होता है और प्रत्येक बल्ब में 10-16 बड़ी कलियां पाई जाती हैं, जो इसे बाजार में आकर्षक बनाती हैं.
विशेषताएं
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किसान इस किस्म से 230-250 दिनों में उपज प्राप्त कर सकते हैं.
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यह किस्म जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों के लिए अत्यधिक उपयुक्त है.
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किसान प्रति हेक्टेयर 200-225 क्विंटल तक उत्पादन हासिल कर सकते हैं.
- ऊटी लहसुन
ऊटी लहसुन को बाजार में एक प्रीमियम किस्म माना जाता है, क्योंकि इसके कंद आकार में बड़े होते हैं और छीलने में आसान. यही वजह है कि उपभोक्ता और व्यापारी इस किस्म को विशेष रूप से पसंद करते हैं. यह किस्म किसानों को अच्छी उपज और बेहतर बाजार मूल्य दोनों प्रदान करती है.
विशेषताएं
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इसके कंद देसी लहसुन से दोगुने आकार के होते हैं.
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यह किस्म किसानों को 120-140 दिनों में अच्छी उपज देती है.
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इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में की जाती है.
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मालवा और राजस्थान क्षेत्र में लहसुन उत्पादन में इस किस्म का 80-90% योगदान है.
कितनी होगी कमाई?
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यमुना सफेद-3 (G-282) से किसानों को औसत 175-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है.
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यदि बाज़ार में लहसुन की न्यूनतम कीमत ₹3800 प्रति क्विंटल रहती है, तो किसान इस किस्म से लगभग ₹6,84,000 प्रति हेक्टेयर तक कमा सकते हैं.
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एग्रीफाउंड पार्वती (G-313) और ऊटी जैसी किस्मों की पैदावार कर किसान न्यूनतम कीमत पर भी ₹2,28,000 प्रति हेक्टेयर की बढ़िया आमदनी हासिल कर सकते हैं.