Mixed Cropping: किसान सत्यवान प्याज और गन्ने से प्रति एकड़ कमाते हैं 6 लाख रुपये तक का मुनाफा गेहूं की बुवाई से पहले रखें इन खास बातों का ध्यान, नहीं लगेगा कोई रोग और मिलेगी बंपर पैदावार! इन सब्जियों की खेती करने पर यह राज्य सरकार दे रही 75% सब्सिडी, ऐसे करें अप्लाई केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 25 June, 2024 6:17 PM IST
गन्ने की फसल से अधिक गुणवत्ता और उत्पादन के लिए अपनाएं ये टिप्स (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Sugarcane Farming: गन्ना खेतिहर किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बहुवर्षीय व अधिक मुनाफा देने वाली नगद फसल है. विश्व में भारत गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत को चीनी की मातृभूमि के रूप में जाना जाता है. ब्राजील दुनिया का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक देश है, जिसके बाद भारत, चीन और थाईलैंड का स्थान है. देश में गन्ने की खेती उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा कर्नाटक में प्रमुखता से की जाती है. गन्ना एक लंबी अवधि तथा अधिक पोषक तत्व ग्रहण करने वाली फसल है जो भूमि से अधिक मात्रा में पोषक तत्व लेती है. परीक्षणों द्वारा ज्ञात हुआ है कि गन्ने की 100 टन प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली फसल भूमि से 208 किग्रा. नाइट्रोजन, 53 किग्रा फास्फोरस और 280 किग्रा. पोटाश ग्रहण करती है. गन्ने का बेहतर उत्पादन हासिल करने के लिए नाइट्रोजन, फोस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम मैग्निशियम, बोरोन और जिंक की आवश्यकता होती है.

मुख्य पोषक तत्व प्रबंधन

पौधों को अपनी वृद्धि हेतु 16 आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन वायुमंडल और मिट्टी के पानी से प्राप्त होते हैं. शेष 13 आवश्यक तत्व (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, आयरन, जस्ता, मैंगनीज, तांबा, बोरॉन, मोलिब्डेनम और क्लोरीन) की आपूर्ति या तो मिट्टी के खनिजों और मिट्टी के कार्बनिक पदार्थों से या कार्बनिक या अकार्बनिक उर्वरकों द्वारा की जाती है. ये पोषक तत्व फसल के समुचित विकास के लिए आवश्यक हैं. प्रत्येक पौधे के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है. प्रमुख पोषक तत्व गन्ने की उपज एवं गुणवत्ता को प्रभावित करता है. वानस्पतिक वृद्धि कल्ले निकलना, पत्ते बनना, डंठल बनना और वृद्धि और जड़ वृद्धि के लिए आवश्यक है.      

आवश्यक पोषक तत्वों में नाइट्रोजन का प्रभाव

गन्ना फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में नाइट्रोजन का प्रभाव सर्वविदित है. पोटाश और फास्फोरस का प्रयोग मृदा के उपरान्त कमी पाये जाने पर ही किया जाना चाहिए. अच्छी उपज के लिए गन्ने में 150 से 180 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना लाभप्रद पाया गया है. नाइट्रोजन की कुल मात्रा का 1/3 भाग व कमी होने की दशा में 60-80 कि०ग्रा० फास्फोरस एवं 40 कि०ग्रा० पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के पूर्व कूडों में डालना चाहिए. नाइट्रोजन के शेष 2/3 भाग को दो हिस्सों में बराबर-बराबर जून से पूर्व ब्यांतकाल में प्रयोग करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: चाय की खेती कब, कैसे और कहां करें? यहां जानें सबकुछ

जैविक खाद का उपयोग

मृदा की भौतिक दशा सुधारने, मृदा से हयूमस स्तर बढ़ाने व उसे संरक्षित रखने, मृदा में सूक्ष्म जीवाणु गतिविधियों के लिए आदर्श वातावरण बनाये रखने के साथ ही निरंतर फसल लिए जाने, रिसाव व भूमि क्षरण के कारण मृदा में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से हरी खाद, गोबर की खाद, कम्पोस्ट, प्रेसमड आदि का प्रयोग किया जाना चाहिए. इस प्रकार जैविक खाद देने से गन्ना फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की अधिकांश मात्रा की पूर्ति की जा सकती है. मृदा में जैविक तत्वों की पूर्ति के लिए हरी खाद एक संपूर्ण आहार है. हरी खाद के लिए शीघ्र वृद्धि वाली दलहनी फसलों जैसे- सनई, ढैंचा, लोबिया आदि को चुनना चाहिए तथा हरी खाद की फसल 45 से 60 दिन पर खेत में पलटकर मिट्‌टी में पूरी तरह सड़ने देना चाहिए. हरी खाद से मृदा में यह जैविक तत्वों के साथ ही नाइट्रोजन की वृद्धि भी करती है.  

हरी खाद विशेष रूप से जब दलहनी फसलों की जड़ में बैक्टीरिया वातावरण से नत्रजन लेकर उसे पौधे के उपयोग में लाए  जाने योग्य नत्रजन में परिवर्तित कर देते हैं. हरी खाद के रूप में उपयोग हेतु एक हेक्टयर क्षेत्रफल में उगाई गई फसल में 8 से 25 टन तक हरी खाद मिलती है जो मृदा में पलटने के उपरान्त लगभग 60 कि०ग्रा० नत्रजन/हे दे देती है. हरी खाद से प्राप्त यह नत्रजन की मात्रा 10 टन एफ.वाई.एम. प्रति हेक्टयर देने पर प्राप्त होने वाली मात्रा के समकक्ष होती है. यदि भूमि में सूक्ष्म तत्वों जस्ता, लोहा, मैग्नीशियम, गंधक आदि की कमी हो तो उनका प्रयोग भी संस्तुत मात्रा के अनुसार किया जा सकता है.

सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन

सूक्ष्म पोषक तत्व गन्ने के वर्धन और विकास के लिए काफी कम मात्रा में आवश्यक होते हैं. पौधों के लिए अनिवार्य पोषक तत्व हैं- लोहा, मैंगनीज, तांबा, जिंक, बोरॉन, मॉलिब्डीनम और कलोरीन. अधिकतर सूक्ष्म पोषक तत्व जीवों के द्वारा उत्पादित एंजाइमों और को एंजाइमों के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जो उनके विभिन्न कार्य की प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है. इन तत्वों की उपलब्धता बहुत कम होती है तो पौधे इनकी कमी को विशिष्ट लक्षणों द्वारा दर्शाते हैं और पौधे की वृद्धि प्रभावित होती है. दूसरी तरफ अगर इनकी उपलब्धता अधिक हो जाती या पौधों द्वारा अधिक अवशोषित होते हैं, तब इनके पौधों में विषाक्तता के लक्षण दिखाई देते हैं और उत्पादन में कमी हो जाती है. अतः पोषक तत्वों की उपलब्धता को ठीक अनुपात में उपयुक्त स्तर पर बनाए रखना उच्चतम उत्पादकता को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है.

दूसरी फसलों की तरह गन्ने की फसल के लिए भी सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों की इष्टतम वृद्धि और उत्पादन के लिए आवश्यकता होती है. ये तत्व गुणवत्ता वाले गन्नों के उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. गन्ने की फसल उच्च जैवभार उत्पादक है. अतः यह सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों की उच्च मात्राा को खेत से निकाल कर ले जाती है. इसके अलावा आमतौर पर एक बार रोपित की गई गन्ने की फसल 3 वर्ष तक खेत में रहती है, जिसके कारण सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण इसमें आमतौर पर देखे जाते हैं.

मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को कैसे दूर करें?

मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए यदि मृदा परीक्षण नहीं किया गया है, तो जिंक और आयरन की कमी वाली मिट्टी में 37.5 किग्रा जिंक सल्फेट/हेक्टेयर और 100 किग्रा फेरस सल्फेट/हेक्टेयर डालें. गन्ने की उपज और रस की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सल्फर की कमी वाली मिट्टी में 500 किग्रा/हेक्टेयर की दर से जिप्सम के रूप में सल्फर का प्रयोग करें. तांबे की कमी वाली मिट्टी में 5 किग्रा/हेक्टेयर की दर से CuSO4 का मिट्टी में प्रयोग वैकल्पिक रूप से फसल वृद्धि के प्रारंभिक चरण के दौरान 0.2% CuSO4 का दो बार पत्तियों पर छिड़काव करें. लौह की कमी वाली मृदाओं में 100 किग्रा./हेक्टेयर फेरस सल्फेट का मूल छिड़काव लौह की कमी के लक्षणों वाले गन्ने में: 1% यूरिया के साथ 1% फेरस सल्फेट का पत्तियों पर छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर तब तक करें जब तक कि कमी के लक्षण समाप्त न हो जाएं.

सामान्य सूक्ष्म पोषक मिश्रण

गन्ने को सभी सूक्ष्मपोषक तत्व प्रदान करने के लिए, 20 किग्रा फेरस सल्फेट, 10 किग्रा मैंगनीज सल्फेट, 10 किग्रा जिंक सल्फेट, 5 किग्रा कॉपर सल्फेट, 5 किग्रा बोरेक्स युक्त 50 किग्रा/हेक्टेयर सूक्ष्मपोषक मिश्रण को 100 किग्रा अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ मिलाकर रोपण से पहले मिट्टी में डालने की सिफारिश की जा सकती है.

गन्ने की फसल हेतु उपयुक्त जैव उर्वरक

एजोस्पिरिलम नाइट्रोजन पोषण के लिए अनुशंसित एक सामान्य जैव उर्वरक है जो गन्ने की जड़ों में बस सकता है और प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर लगभग 50 से 75 किलोग्राम नाइट्रोजन के हिसाब से वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकता है. हाल ही में, एक अन्य एंडोफाइटिक नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु, ग्लूकोनासेटोबैक्टर डायज़ोट्रोफिकस को गन्ने से अलग किया गया, जो एजोस्पिरिलम की तुलना में अधिक नाइट्रोजन को स्थिर करने में सक्षम है. यह पूरे गन्ने में बस जाता है और कुल नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाता है. मिट्टी में, यह जड़ों में भी बस सकता है और फॉस्फेट, आयरन और जिंक को घुलनशील बनाने में सक्षम है. यह फसल की वृद्धि, गन्ने की उपज और रस में शर्करा की मात्रा को भी बढ़ा सकता है. चूंकि यह एजोस्पिरिलम से अधिक कुशल है और ग्लूकोनासेटोबैक्टर डायज़ोट्रोफिकस फॉस्फोबैक्टीरिया को P घुलनशील के रूप में गन्ने की फसल के लिए लाभदायक माना जाता है.

लेखक

डॉ. शिशुपाल सिंह
विषय वस्तु विशेषज्ञ, कार्यालय: उप कृषि निदेशक, वाराणसी

English Summary: tips for good quality of sugarcane crop you will get bumper production
Published on: 25 June 2024, 06:22 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now