किसान भाई कई फसलों को बेकार समझकर फेंक देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन्हें आप बेकार समझकर फेंक देते हैं. वह आपके लिए बेहद लाभदायक भी साबित हो सकती है. इन्हीं फसलों में से एक कैक्टस के पौधे भी हैं, जिन्हें किसान बेकार में ऐसे ही फैंक देते हैं.
आपको बता दें कि अगर आप कैक्टस की खेती व्यावसायिक (cactus farming commercial) तौर पर करते हैं, तो यह आपके लिए अतिरिक्त आय का साधन भी बन सकता है. क्योंकि इसके पौधे से बाजार में कई तरह के उत्पादों को तैयार किया जाता है और साथ ही कैक्टस से पशु चारे, चमड़ा बनाने, दवाइयां और ईंधन में भी इस्तेमाल किया जाता है.
अपुंशिया फिकस-इंडिया का पौधा (Apuntia ficus-india plant)
अगर कैक्टस की व्यवसायिक खेती की बात करें तो इसमें अपुंशिया फिकस-इंडिया सबसे अधिक लोकप्रिय है. क्योंकि इस पौधे में कांटे नहीं पाए जाते हैं और साथ ही किसानों को इसे उगाने के लिए अधिक पानी की भी जरूरत नहीं होती है. इस पौधे को आप बिना सिंचाई करें भी सरलता से उगा सकते हैं. इसलिए कैक्टस की खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक होता है.
कैक्टस के फायदे (benefits of cactus)
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गर्मी के मौसम में पशुओं को कैक्टस खिलाया जाता है, क्योंकि इसे खाने से पशुओं में गर्मी व डिहाइड्रेशन नहीं होता है.
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कैक्टस से तेल, शैंपू, साबुन और लोशन जैसे सौंदर्य पदार्थ को बनाया जाता है, जो देश-विदेश के बाजार में बेहद उच्च दाम पर बिकते हैं.
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कैक्टस को पानी का सबसे अच्छा स्रोत भी माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद यह रेगिस्तान के इलाकों में सबसे अधिक देखने को मिलते हैं, जहां पर पानी कम मिलता है.
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यहां भी पाया गया है कि कैक्टस से चमड़ा भी बनाया जाता है.
कैक्टस की खेती (Cactus Cultivation)
कैक्टस का पौधा 5 से 6 महीने में पूरी तरह से विकसित हो जाता है. देखा जाए तो इसकी खेती जून-जुलाई से लेकर नवंबर के महीने तक की जाती है. अगर आप अपने खेत में इसकी खेती करना शुरू करते हैं, तो इसके लिए आपके खेत की मिट्टी खारी होनी चाहिए.
पौधा सही से तैयार होने के बाद किसान इसकी कटाई तब करें जब इसका पौधा 1 मीटर ऊंचा हो जाए और पौधे को 5 से 6 महीने पूरे हो चुके हो. ऐसी स्थिति में आप कैक्टस की कटाई कर सकते हैं.