मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 21 March, 2023 10:00 PM IST
जंगली गेंदा की खेती

जंगली गेंदा की खेती और उससे तेल निकाल कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. किसानों ने उन्नत किस्म के जंगली गेंदे के पौधों से सुगंधित तेल निकाला है. यह तेल करीब 10 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा रहा है. इस तेल का इस्तेमाल फॉर्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में इत्र और अर्क बनाने में किया जा रहा है. जंगली गेंदा के तेल से होने वाले फायदों ने पारंपरिक मक्का, गेहूं और धान की फसलों की तुलना में किसानों की आय को बढ़ाकर लगभग दोगुना कर दिया है. आइए जानते हैं खेती से जुड़ी जरूरी जानकारी 

उपयुक्त जलवायु-

जंगली गेंदे को शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु की जरूरत होती है. इसे मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के निचले भागों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. जंगली गेंदे के बीजों को जमाव के लिए कम तापमान और पौधों की बढ़वार के लिए गर्मी के लम्बे दिनों की जरूरत होती है. 

उपयुक्त मिट्टी –

जंगली गेंदे की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है. उचित जल निकासी प्रबन्ध के साथ कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता वाली बलुई दोमट या दोमट भूमि अच्छी होती है.  जिसका pH मान 4.5-7.5 होना चाहिए. 

नर्सरी तैयार करना –

उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में जंगली गेंदे की खेती के लिए बीजों की सीधे बुआई अक्टूबर में की जाती है. पहाड़ी इलाकों में नर्सरी को मार्च से अप्रैल में तैयार करनी चाहिए. फिर जब पौधे 10-15 सेंटीमीटर लम्बे हो जाएं खेतों में रोपाई करनी चाहिए.

बुवाई का तरीका –

सीधी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 2 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है. बीजों में थोड़ी मिट्टी मिलाकर पंक्तियों में छिड़ककर बुवाई कर सकते हैं. नर्सरी में पौधे तैयार करके रोपाई करने के लिए प्रति हेक्टेयर 750 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं. रोपाई के वक़्त कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखना चाहिए. 

सिंचाई –

जंगली गेंदे की फसल की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करना जरूरी है. पूरी फसल के दौरान मैदानी क्षेत्रों में 3-4 सिंचाई की जरूरत होती है जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली गेंदे की खेती बारिश आधारित होती है.

फसल की कटाई

मैदानी क्षेत्रों में अक्टूबर में लगाई फसल मार्च के अन्त से लेकर मध्य अप्रैल तक और पहाड़ी क्षेत्रों में जून-जुलाई में लगाई फसल सितम्बर-अक्टूबर तक कटाई के लिए तैयार हो जाती है. कटाई के वक़्त जमीन से करीब एक फीट ऊपर हंसिया या दरांती से पौधों को काटना चाहिए. 

ये भी पढ़ेंः गेंदे की व्यवसायिक खेती की पूरी जानकारी, कई प्रकार से कर सकते हैं लाभ

पैदावार –

इस किस्म की खेती से प्रति हेक्टेयर कर 300 से 500 क्विंटल शाकीय भाग यानी ‘हर्ब’ की उपज मिलती होती है. हर्ब का आसवन जल्द कर लेना चाहिए. इससे 40-50 किलोग्राम तक जंगली गेंदे का तेल मिलता है.

English Summary: This oil is sold for Rs 10,000 a kg, bumper earnings from Wild Marigold farming
Published on: 21 March 2023, 02:59 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now