अगर आप भी कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आपके लिए फूल गोभी की खेती फायदेमंद हो सकती है. सितंबर से अक्टूबर महीने में की जाने वाली इस फसल की खेती को कम श्रम के साथ सीमित संसाधनों में भी कर सकते हैं. फूलगोभी के लोकप्रिय होने की एक खास वजह ये भी है कि ये कैंसर की रोकथाम में सहायक होता है.
शरीर में कोलैस्ट्रोल की मात्रा घटाने की वजह से ग्रामीणों के अलावा ये शहरी जन-जीवन में भी खासा पंसद किया जाता है. भारत में मुख्य तौर पर इसकी खेती पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, आसाम, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में होती आई है, लेकिन अब बदलते हुए वक्त के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में भी इसकी खेती संभव हो गई है. चलिए आज़ हम आपको बताते हैं कि फूल गोभी की खेती को करने का सही तरीका क्या है.
फूलगोभी की खेती के लिए मिट्टी (Soil for cauliflower cultivation)
इस खेती को करने से पहले आपको यह जान लेना जरूरी है कि इसकी खेती रेतली दोमट के अलावा चिकनी मिट्टी में की जाती है. अगर आप ज्लदी पकने वाली किस्मों का प्रयोग कर रहे हैं तो आपके लिए रेतली दामोट मीट्टी उपयुक्त है, लेकिन अगर आप देर से बीजने वाली किस्मों की फसल करना चाहते हैं तो आपके लिए चिकनी दोमट मिट्टी का चुनाव करना बेहतर है.
ऐसे करें ज़मीन की तैयारी (Prepare the land like this)
इस फसल की खेती करने से पहसे खेत को अच्छी तरह जोतना जरूरी है. एक बार सही से जुताई होने पर अच्छी तरह गली हुई रूड़ी की खाद आखिरी जोताई के वक्त डालें.
फूल गोभी की बिजाई का वक्त (Cauliflower sowing time)
अगर आप गोभी की अगेती किस्मों के लिए खेती कर रहे हैं, तो आपके लिए जून-जुलाई का महीना ठिक है. लेकिन अगर आप रोपाई के लिए पिछेती किस्मों का चुनाव कर रहे हैं तो आपके लिए मध्य सितंबर और अक्तूबर तक का समय सही है.
फूल गोभी की सिंचाई की विधि (Cauliflower irrigation method)
फूल गोभी की खेती में रोपाई के तुरंत बाद ही पहली बार सिंचाई कर देनी चाहिए. इसके बाद आप प्रत्येक हफ्ते के अंतराल पर (गर्मियों में) या 10-15 दिनों के अंतराल पर (सर्दियों में) सिंचाई कर सकते हैं.
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फूल गोभी की फसल की कटाई का वक्त (Cauliflower harvest time)
इसकी कटाई के फूल के विकसित होने के बाद सुबह के समय की जा सकती है. ध्यान रहे कि कटाई के बाद फूलों पर धूप ना पड़े.