RFOI Award 2025: UP के सफल किसान मनोहर सिंह चौहान को मिला RFOI अवार्ड, अजय मिश्र टेनी ने किया सम्मानित RFOI - First Runner-Up: सफल किसान लेखराम यादव को MFOI Awards 2025 में मिला RFOI-फर्स्ट रनर-अप अवार्ड, अजय मिश्र टेनी ने किया सम्मानित RFOI Award 2025: केरल के मैथ्यूकुट्टी टॉम को मिला RFOI Second Runner-Up Award, 18.62 करोड़ की सालाना आय से रचा इतिहास! Success Story: आलू की खेती में बढ़ी उपज और सुधरी मिट्टी, किसानों की पहली पसंद बना जायडेक्स का जैविक समाधान किसानों के लिए साकाटा सीड्स की उन्नत किस्में बनीं कमाई का नया पार्टनर, फसल हुई सुरक्षित और लाभ में भी हुआ इजाफा! Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 4 May, 2020 3:24 PM IST

हल्दी जिंजिवरेंसी कुल का पौधा हैं, जिसका वानस्पतिक नाम कुर्कमा लांगा हैं. भारत में इसका उपयोग बहुत प्राचीन काल से अलग-अलग कामों के लिए किया जाता रहा है. अपने रंग, महक एवं औषधीय गुणों के कारण हल्दी सदैव मांग के मामले में बाजार में पकड़ बनाए रखती है.

मसालों और औषधीयों समेत समाज के सभी मंगल शुभकार्यों में इसका उपयोग किया जाता है. वर्तमान समय में प्रसाधन के सर्वोत्तम उत्पादों में इसके उपयोग से भी इसकी मांग बढ़ी है. वैसे आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि हल्दी के उत्पादन में हम विश्व में सबसे पहले स्थान पर आते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि इसकी खेती कैसे की जा सकती है.

जलवायु

हल्दी की खेती के लिए ऐसे क्षेत्र उपयुक्त हैं, जहां 100 से 120 दिनों में 1200 से 1400 मि.मी. वर्षा होती है. इसी तरह अगर आपका क्षेत्र समुद्र सतह से 1200 मीटर की ऊंचाई पर है, तो आप वहां हल्दी उत्पादन कर सकते हैं.

मृदा

इसका उत्पादन सभी प्रकार की मिट्टी में हो सकता है, लेकिन खेतों को इस प्रकार तैयार करें कि वहां जल निकासी की सुविधा हो. इसकी खेती के लिए पीएच 5 से 7.5 वाली मिट्टी सबसे अच्छी है.

खेत की तैयारी

खेतों की बुवाई से पहले 4 से 5 जुताई करें, फिर पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा एवं समतल कर लें. पूर्व फसल के अवशेषों को अलग करने के बाद हल्दी रोपण हेतु 15 से.मी. ऊंची, एक मीटर चौड़ी तथा सुविधानुसार लम्बी (3-4 मीटर) क्यारियों का निर्माण करें.

सिंचाई

हल्दी की फसल को 20-25 हल्की सिंचाई की जरूरत होती है, गर्मियों में सात दिनों के अंतराल पर और शीतकाल में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए.

फसल की खुदाई

हल्दी की फसल 7 से 10 माह में तैयार हो जाती है. आम तौर पर इसकी खुदाई जनवरी से मार्च के मध्य खुदाई की जाती है. ध्यान रहे कि 7 से 10 माह बाद जब पत्तियां पीली पड़ जाये तथा ऊपर से सूखना प्रारंभ कर दे, तो आपकी हल्दी खुदाई के लिए तैयार है.

English Summary: this is the right method of turmeric farming know more about turmeric and production
Published on: 04 May 2020, 03:28 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now