Dairy Farming: डेयरी फार्मिंग के लिए 42 लाख रुपये तक के लोन पर 33% तक की सब्सिडी, जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया PM Kisan Yojana Alert: जिन किसानों का नाम लिस्ट से हटा, आप भी उनमें तो नहीं? अभी करें स्टेटस चेक Success Story: सॉफ्टवेयर इंजीनियर से सफल गौपालक बने असीम रावत, सालाना टर्नओवर पहुंचा 10 करोड़ रुपये से अधिक! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 5 June, 2020 3:12 PM IST

कम लागत में अगर आप भी बड़ा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो कलिहारी की खेती कर सकते हैं. यह एक जड़ी-बूटी वाली फसल है, जो बहुत हद तक किसी बेल की तरह बढ़ती है. इसके पत्तो, बीजों और जड़ों आदि का उपयोग दवाइयें के निर्माण में होता है. इससे बनने वाली दवाईयों जोड़ों के दर्द, एंटीहेलमैथिक आदि के उपचार में सहायक है. इसके अलावा इससे कई तरह टॉनिक और पीने वाली दवाइयां भी बनाई जाती है, जिस कारण बाजार में इसकी अचछी मांग है.

कैसा हाता है पौधा

इस पौधे की औसतन ऊंचाई 3.5 से 6 मीटर तक हो सकती है. इसके पत्तों की लम्बाई 6-8 इंच होती है, जो डंठलों के बिना होते हैं. इनके फूलों रंग हरा और फल 2 इंच लम्बे हो सकते हैं.

मिट्टी

वैसे तो इसकी खेती हर तरह की मिट्टी में हो सकती है, लेकिन लाल दामोट या रेतीली मिट्टी इसके विकास में अधिक सहायक है. मिट्टी का पीएच मान 5.5 -7 तक होना चाहिए.

खेती की तैयारी

कलिहारी को बिजाई से पहले खेतों को भुरभुरा और समतल बनाना जरूरी है. मिट्टी की जुताई 2 से 3 बार करें. पानी की निकासी के लिए मार्ग बनाएं.

बिजाई का समय

इसकी बिजाई के लिए जुलाई से अगस्त तक का महीना फायदेमंद है. बिजाई के समय ध्यान रखें कि पौधों में 60x45 सै.मी. तक का फासला हो.  बीजों को 6-8 सै.मी. की गहराई में बोयें.

सिंचाई

इसकी फसल को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है. फिर भी अच्छी फसल के लिए 5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें. बरसात के दिनों में सिंचाई की आवशयक्ता नहीं है. फल पकने के समय दो बार सिंचाई करना फायदेमंद है.

कटाई

इसके फलों के रंग हरे होने के बाद इसकी तुड़ाई की जाती है. इसी तरह गांठों की कटाई बिजाई से 5-6 साल के बाद की जाती है.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

English Summary: this is the right method of kalihari farming know more about soil weather and investment profit
Published on: 05 June 2020, 03:16 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now