बरसात का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे में नींबू के पौधों को विशेष देखभाल की जरूरत है. वर्षा के दिनों में नींबू पर कई रोगों का प्रभाव होता है, जिसके कारण आपकी पूरी मेहनत बेकार हो सकती है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगें कि कैसे आप नींबू के पौधे को बीमारियों एवं कीड़ों से बचा सकते हैं.
आर्द्र गलन रोग
नींबू में ये बीमारी वैसे तो कभी भी हो सकती है, लेकिन वर्षा के दिनों में इसकी संभावना तेज हो जाती है. कवक से फैलने वाले इस रोग के कारण पौधा मिट्टी के सतह के पास से गलकर गिरने लगता है. इसके उपचार के लिए जरूरी है कि पानी के निकासी का प्रबंध किया जाए. आप चाहें तो रासायनिक कवकनाशी कैप्टान को फाइटोलॉन या पेरिनॉक्स के साथ मिलाकर मिट्टी में छिड़काव कर सकते हैं.
चूर्णिल आसिता रोग
इस रोग के कारण पत्तियों की डण्ठल एवं शाखाओं के ऊपरी सतह पर सफेद पावडर बनना शुरू हो जाता है. गौर से देखने पर आपको धब्बे दिखाई दे सकते हैं. इसके प्रभाव के कारण पत्तियां पीली पड़कर खराब होने लगती है. इस रोग के नियंत्रण के लिए सल्फर का छिड़काव कर सकते हैं.
गमोसिस रोग
वर्षा के दिनों में होने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक गमोसिस रोग है. इसके प्रभाव में आकर तने की छाल में सड़ने लग जाती है. धीरे-धीरे पत्तियों का पीला होना शुरू हो जाता है. रोगरोधी मूलवृंत का प्रयोग करना फायदेमंद है.
कैंकर रोग
बरसात के दिनों में अक्सर कैंकर रोग से नींबू प्रभावित होता है. इस गंभीर रोग के कारण शाखाओं,फलों एवं डण्ठल पर पीले धब्बें दिखाई पड़ने शुरू हो जाते हैं. नई पत्तियों पर भी इसके दागों को पीछे की ओर देखा जा सकता है. इस रोग से नींबू को बचाने के लिए रोग ग्रस्त शाखाओं को काटकर फेंक देना फायदेमंद है. कटे हुए शाखाओं पर बोर्डों पेस्ट का लेप लगाना चाहिए.