किसी भी फसल से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए उन्नत खेती के साथ ही फसल की देखभाल करना भी जरूरी होता है. ऐसे में अगर बात करें मसूरी मेथी की, जो एक सुगन्धित मेथी होती है. मसूरी मेथी की खेती की जानकारी देने के बाद अब आपको फसल की देखभाल के बारे में भी बताने जा रहे हैं, इसलिए जानते हैं उन्नत खेती के लिए कुछ जरूरी बातें
खाद और उर्वरक
कसूरी मेथी के लिए नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश का अनुपात 1:2:1 का होता है गोबर या कम्पोस्ट की खाद 15-20 टन प्रति हैक्टेयर देते हैं कसूरी मेथी में 20 किलो नत्रजन, 40 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटाश देने से पत्तियों की अच्छी उपज होती है फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा एवं नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई के समय देनी चाहिए, शेष आधी नत्रजन की मात्रा और 2% एनपीके का छिड़काव हर कटाई के बाद करें.
निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 25-30 दिन बाद और दूसरी पहली के 30 दिन बाद होती है. कसूरी मेथी की खेती मुख्यतः पत्तियों की कटाई के लिए की जाती हैं. बुवाई के 15 दिन बाद और पत्तियों की कटाई करने से पहले खरपतवारों को हाथ से निकाल देना चाहिए. बुवाई से पहले खरपतवार नाशी फ्लूक्लोरेलीन एक किलो क्रियाशील तत्व प्रति हैक्टेयर की दर से मिलाने पर खरपतवार कम उगते हैं.
कसूरी मेथी की फसल में रोग देखभाल
चूर्णिल आसिता: इसे छाछ्या रोग भी कहते हैं, शुरू में पत्तियों पर सफेद चूर्णिल पुंज दिखाई देते हैं और उग्र रूप में पूरे पौधे को चूर्णिल आवरण से ढक देते हैं. इससे बीज की उपज एवं गुणवता में कमी आती है. रोकथाम के लिए 0.1 प्रतिशत कैराथेन एलसी या 0.2 प्रतिशत निलम्बनशील गंधक 500 लीटर घोल प्रति हैक्टेयर 0.1 प्रतिशत बावस्टिन का पर्णीय छिड़काव करें.
मूल गलन- यह कसूरी मेथी की गंभीर बीमारी है. जिसमें जड़ों के पास सड़न और बुआई के 30-35 दिनों के बाद पौधे पीले होकर सूख जाते हैं. रोकथाम के लिए नीम की खली एक टन प्रति हैक्टेयर बुआई से पूर्व मे मिलाए और बीज उपचार कार्बेन्डाजीम 2 ग्राम दवा प्रति 1 किलोग्राम बीजदर के हिसाब से करें.
कसूरी मेथी की फसल में कीट देखभाल
माहू- नियंत्रण के लिए 0.03 प्रतिशत डाइमेथोएट 30 ईसी या फास्फेमिडान 40 ईसी में से कोई एक दवा का 400-500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिडकाव प्रभावी होता है|
दीमक- रोकथाम के लिए 4 लीटर प्रति हैक्टेयर क्लोरोपायरीफास सिंचाई के साथ पानी में देते है.
कसूरी मेथी की फसल में जैविक रोकथाम
उपर्युक्त कीट और रोगों के लिए 2 टन प्रति हेक्टेयर की दर से नीम की खली एवं 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से ट्राइकोडर्मा विरिडी भूमि में मिलावें और 5 प्रतिशत नीम बीज अर्क का छिड़काव 10 दिन के अंतराल पर (दो से तीन बार) करना प्रभावी होता है.
कसूरी मेथी की फसल की कटाई
अक्टूबर में बोई फसल से पत्तियों की 5 और नवम्बर में बोई फसल से पत्तियों की 4 कटाई लेनी चाहिए, उसके बाद फसल को बीज के लिए छोड़ देना चाहिए अन्यथा बीज नहीं बनेगा पत्तियों की पहली कटाई बुआई के 30 दिन बाद करें फिर 15 दिन के अन्तराल पर कटाई करते रहें. कटाई करने के बाद पत्तियों को तिरपाल पर रख कर हल्की धूप में सुखा लेवें. जिससे उनका रंग व सुंगध अच्छी होती है.
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कसूरी मेथी की खेती से पैदावार
कसूरी मेथी की पत्तियों की उपज कटाई की संख्या पर निर्भर करती है. यदि 4 कटाई ली, तो हरी पत्तियों की उपज 80-90 क्विटल प्रति हैक्टेयर और बीज की उपज 6-7 क्विटल के प्रति हेक्टेयर और 5 कटाई लेने पर हरी पत्तियों की उपज 90-110 क्विटल प्रति हेक्टेयर और बीज की उपज 4-6 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है.