सेहत के लिए सोयाबीन का सेवन काफी अच्छा माना गया है. यहां तक कि सोयाबीन को शाकाहारी मांस कहा जाता है. ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी मानी गई है और इस वक्त सोयाबीन की खेती का सीजन भी चल रहा है, तो आइए जानकारी देते हैं कि यह सोयाबीन की खेती को और बेहतर तरीके से कैसे कर सकते हैं?
भारत में सोयाबीन प्रमुख खरीफ फसलों में से एक है. यहां पर किसान आज से नहीं लगभग पिछले 100 साल से सोयाबीन की खेती कर रहे हैं और लोगों को उसका फ़ायदा उठाने का मौका भी दे रहे हैं. सोयाबीन हो या फिर कोई और फसल उसमें तकनीकी रूप से काम करना बड़ा आवश्यक होता है, इसलिए सोयाबीन की बुवाई शुरू करने से पहले इन पांच ज़रूरी बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए.
बीज ख़रीद का ध्यान रखें
किसी भी फसल की खेती करने से पहले सबसे जरुरी होता है अच्छे बीजों का चयन करना. अगर आप खेती करने के दौरान अच्छे बीजों का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो इसका सीधा असर आपकी फसल में होने वाले उत्पादन पर पड़ेगा, इसलिए इस साल सोयाबीन की फसल करने से पहले इन किस्मों को आप आजमा सकते हैं: अहिल्या1(NRC2), अहिल्या 3 (NRC 7), अहिल्या 2(NRC 12), JS 71-05, JS 335, MACS 58. आपको बता दें कि ये किस्में मध्य प्रदेश के मौसम के अनुसार हैं.
बीज का उपचार ज़रूर करें
बीज कंपनियों द्वारा तैयार किए गए बीज खरीदते हैं, तो वो आमतौर पर रसायनों के द्वारा उपचारित किए गए होते हैं, लेकिन फिर भी आपको बीज का उपचार करने से चूकना नहीं चाहिए. बुवाई से 24 घंटे पहले बीज उपचार करना चाहिए, क्योंकि इससे बीज के अंकुरित होने का प्रतिशत बढ़ जाता है और उसमें रोग लगने की संभावना कम हो जाती है.
बुवाई के समय का ध्यान रखें
खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुवाई के लिए अधिकांश वर्षा पर निर्भर रहते हैं, इसलिए मौसम की अच्छी जानकारी होना बहुत जरुरी होता है. ऐसे में आपके क्षेत्र में 4 इंच बारिश के बाद ही सोयाबीन की बुवाई करें.यह अच्छे अंकुरण के लिए पर्याप्त नमी प्रदान करेगा.
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खरपतवार ना होने दें
किसी भी फसल में नमी होने की वजह से अनचाहे खरपतवार भी उग जाते हैं, जो कि फसल उत्पादन को 20 प्रतिशत या इससे अधिक तक कम कर सकते हैं, इसलिए फसल को बचाने के लिए समय पर खरपतवार निकालना जरूरी है. आप इसे मज़दूरों द्वारा या बाजार में उपलब्ध कृषि रसायनों द्वारा भी दूर कर सकते हैं. इसके लिए आप मशीनों का भी उपयोग कर सकते हैं.
फसल में लगने वाले रोगों का उपचार ज़रूर करें
फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए उसका स्वस्थ होना बहुत जरुरी होता है, इसलिए आप प्रत्येक सात दिन में खेत के हर क्षेत्र और कोने में क्या हो रहा है, उसे ज़रूर देखें, ताकि आपको यह पता रहे कि कहीं फसल में कोई ऐसा कीट तो नहीं लग रहा है, जिससे आपका नुकसान हो. कीटों , रोगों पर नियंत्रण रखने के लिए कीटनाशकों और फफूंदनाशकों के निवारक और उपचारात्मक छिड़काव दोनों का प्रयोग कर सकते हैं.