Winter Crisis: उत्तर भारत में फलों और सब्जियों पर बढ़ रहा प्रदूषण का दबाव, ऐसे करें प्रबंधित अगले 24 घंटे के दौरान इन राज्यों में बारिश की चेतावनी, दिल्ली में बढ़ेगी ठंड, पढ़ें IMD की पूरी रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मंच पर डॉ. रूमा देवी ने पेश किया राजस्थान की महिलाओं का आत्मनिर्भरता मॉडल, सतत विकास पर साझा किए विचार! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 9 January, 2019 7:00 PM IST

आज तक आपने बहुत प्रकार के चावल के बारे में सुना होगा लेकिन ऐसे चावल के बारे में कभी नहीं सुना होगा जिसे खाने योग्य बनाने के लिए गरम पानी की जरूरत नहीं पड़ती। अब आपको लगने लगा होगा कि हम क्या उट-पटांग बातें कर रहे है लेकिन यह सच है की हम चावल की ही बात कर रहे हैं. इस खास किस्म के चावल को कमल कहा जाता है. इस समय हमारे देश में इसकी खेती बंगाल के किसान कर रहे है. इस चावल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें जैसे ही सामान्य पानी डाला जाता है. यह स्वत: ही कुछ देर के बाद पक कर भात के रूप में तैयार हो जाता है.

इस विशेष प्रकार के चावल के बारे में सहायक कृषि निदेशक अनुपम पाल कहते हैं की इसकी इसकी खेती ज्यादातर  ब्रह्मपुत्र नदी के तटीय क्षेत्र असम के माजूली द्वीप पर होती है. कुछ किसान इसे बंगाल से लेकर आये और इसकी यहाँ पर बुआई की गई जिससे यहाँ के किसानों को अच्छी उपज मिली। अब तो पश्चिम बंगाल सरकार ने इसके व्यवसायिक उत्पादन को बढ़ाने के लिए घोषणा भी कर दी है.

इस विशेष प्रकार के चावल की खेती के लिए सिर्फ जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है. अभी तो इसे केवल नदिया जिले में प्रयोग किया गया है जिसके परिणाम भी बेहतर मिले है.

इस चावल के खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इस चावल का प्रयोग 100 साल पहले सैनिक करते थे क्योंकि जब युद्ध होता था तो खाना पकाने में सैनिकों को दिक़्क़त होती थी इसलिए सैनिक इसे ठंडे पानी में पकाते थे और इस चावल की एक खास विशेषता यह है कि इसमें अन्य चावल की अपेक्षा कार्बोहाइड्रेट, पेप्टिन जैसे पौष्टिक तत्व प्रचूर मात्रा में मिलते हैं .कमल चावल की खेती फायदेमंद साबित हो रही है. बाजार में इसकी कीमत करीब 60 से 80 रुपये किलो तक है. किसान अपने घर की जरूरत के मुताबिक इसकी खेती करते हैं.

English Summary: the wonder rice that can be cooked in cold water
Published on: 09 January 2019, 07:02 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now