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Updated on: 19 June, 2019 6:00 PM IST

दरअसल 27 सालों से इस धान पर अनुसंधान किया जा रहा है और उसके बाद ही इसे साकार रूप देकर विकसित किया गया है.धान की इस किस्म की खेती का किसानों को फायदा मिलेगा. अभी तक बस्तर के किसान मरहान भूमि में धान की खेती करके एक हेक्टेयर में 20-25 क्विंटल धान उत्पादन करते थे. बस्तर धान 1 का उपयोग करके किसान प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है.

110 दिनों में तैयार हो जाती है

बस्तर धान एक जल्दी ही उगने वाली किस्म है. इसकी खेती सीधी बोआई  के जरिए की जाती है. वैज्ञानिकों ने बताया कि अब सामान्य रूप से मरहान भूमि में धान की फसल 130-140 दिनों में तैयार होती है. लेकिन इस नई किस्म की धान को 105 से 110 दिनों में तैयार हो पाती है. इस फसल पर झुलसा रोग का कोई असर नहीं पड़ेगा. इस रोग के प्रति इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मौजूद है.

बस्तर और सरगुजा को ज्यादा फायदा

सबसे अधिक फायदा मरहान में खेती करने वाले बस्तर व सरगुजा जिले के किसानों को मिलेगा. प्रदेश में धान की खेती 36 लाख हेक्टेयर में की जाती है. जिसमें 30-35 क्षेत्र उच्चहन भूमि है. धान की खेती भिन्न-बिन्न भू-परिस्थितियों में की जा सकती है. इसी में मरहान टिकरा भूमि भी शामिल है. उन्होंने बताया कि उचचहन भूमि की मिट्टी हल्की होती है और इसकी जलधारण कम होती है.

भविष्य में काम आएगी यह किस्म

 कीट वैज्ञानिक डॉ एनपी मांडवी, पौध रोग वैज्ञानिक आरएस नेताम के साथ शस्य वैज्ञानिक डॉ मनीष कुमार शामिल है. बस्तर की बेटी डॉ सोनाली शुरू से ही किसानों के लिए कुछ अच्छा करना चाहती थी. इन्होंने कृषि के क्षेत्र में जगलदरपुर से स्नातक, रायपुर से स्नातकोत्तर और रांची के बिरसा विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि को हासिल किया है. इन्होंने लगातार कई वर्षों तक लंबे शोध किए है. सभी इस धान की प्रजाति के विकसित होने पर खुश है नके लिए धान बस्तर 1 की किस्म का विकसित होना बेहद ही गौरव की बात है.

English Summary: The new variety of paddy prepared in Chhattisgarh has many specialties
Published on: 19 June 2019, 06:05 PM IST

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