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Updated on: 14 March, 2023 12:30 PM IST
सीवीड की खेती का आसान तरीका

सीविड को समुद्री सिवार या शैवाल कहा जाता है. आमतौर पर सीवीड या शैवाल को समुद्र पर फैलाई गई रस्सी या फिर जाल पर उगाया जाता है. इस तरीके से बहुत बड़े पैमाने पर शैवाल की खेती करना लगभग नामुमकिन हो गया है. हालांकि भारत सरकार सीवीड की खेती के लिए किसानों और मछुआरों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए नई तरकीब भी निकाली है. भारत में प्राकृतिक रूप से हरे शैवाल की 900, लाल शैवाल की 4,000 और भूरे शैवाल की 1,500 प्रजातियां हैं. इनमें से 221 तरह की प्रजातियों का प्रयोग उत्पाद बनाने में होता हैजिसमें 145 खाद्य उत्पाद और 110 का फ़ाइकोकोलोइड्स उत्पादन के लिए इस्तेमाल होता है. इसलिए सीवीड की खेती से मुनाफा हो सकता है. 

समुद्र में खेती की तकनीक

बेंगलुरु के एक स्टार्टअप ने समुद्र में खेती करने की नई तरकीब ढूंढ निकाली है. बेंगलुरु की सी सिक्स एनर्जी के सीईओ और सह संस्थापक सुनील कुमार सूर्यनारायण ने बताया कि समुद्र की सतह पर खेती करने के कई नए तरीके विकसित कर सकते हैंजिससे बड़ी मात्रा में उपयोगी पदार्थ उगाए जा सकते हैं.

सी कंबाइन तैयार किया

दरअसल बेंगलुरु का यह स्टार्ट अब जमीन पर ट्रैक्टर की मदद से की जाने वाली खेती की तरह समुद्र में भी फार्मिंग करना चाहता है. जिसके लिए इन्होंने सी कंबाइन तैयार किया है. सी कंबाइन वास्तव में ऑटोमेटेड कैटामारन है जो समुद्र से सीवीड की कटाई करता है और उनकी जगह दोबारा नए पौधे रोप देता है. जो वास्तव में सीवीड को एक लाइन से काटता है.

सरकार भी कर रही प्रोत्साहित

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत सरकार साल की परियोजना चला रही है. जिस पर 640 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत केंद्र सरकार तटीय राज्यों के मछुआरों को शैवाल के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही है. मकसद यह है कि महिलाओं को इस क्षेत्र में प्राथमिकता मिले. जिससे मछुआरों के परिवारों की आय में इज़ाफा हो सके. सरकार शैवाल के उत्पादन के लिए राफ्ट आदि बनाने के लिए सब्सिडी भी दे रही है.

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PMMSY से क‍िसान-मत्स्य पालकों की मदद

मत्स्य पालन विभागपशुपालन और डेयरी मंत्रालय समुद्री शैवाल क्षेत्र के विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है. जिसको लेकर मंत्रालय प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत समुद्री शैवाल की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. जहां इकाई पर इनपुट के साथ-साथ कल्चर राफ्ट और मोनोलिन/ट्यूबनेट के लिए क्रमशः 1500 रुपये और 8000 रुपये की व‍ित्‍तीय मदद की जा रही है.

English Summary: The invention of the trick for easy cultivation of seaweed, the government is also helping
Published on: 14 March 2023, 10:27 AM IST

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