सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 4 January, 2022 4:42 PM IST
सौंफ

भारत को पुरातन काल से मसालों की भूमि के लिए जाना जाता है. मुख्य बीजीय मसाला फसलों में जीरा, धनिया, मेथी, सौंफ, कलौंजी इत्यादि प्रमुख हैं. इनमें से सौंफ भारत की एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है. इसकी खेती रबी एवं खरीफ, दोनों ही मौसमों में सफलतापूर्वक की जा सकती है, परन्तु खरीफ मौसम में अत्यधिक वर्षा के कारण फसल के ख़राब होने की आशंका रहती है.

रबी मौसम इसकी खेती के लिए उत्तम माना जाता है, क्योंकि इस मौसम में कीटों एवं रोगों का प्रकोप कम होता है तथा वर्षा के कारण फसल खराब होने का खतरा नहीं होता है एवं खरीफ के अपेक्षा उत्पादन में भी वृद्धि होती है. 

सौंफ में पाचक तथा वायुनाशक दोनों गुण पाए जाते हैं. इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस एवं लौह तत्वों के साथ-साथ वाष्पशील तेल संघटक जैसे एथेनॉल, लिमोजिन, फेकान इत्यादि पाए जाते हैं. इसके अतिरिक्त सौंफ में एनाल्जेसिक, एंटी-इन्फलामेटरी एवं एन्टीऑक्साइड गुण भी उपस्थित होते हैं. 

जलवायु: सौंफ की अच्छी उपज के लिए शुष्क एवं ठंडी जलवायु उत्तम होती है. बीजों के अंकुरण के लिए उपयुक्त तापमान 20-29 डिग्री सेंटीग्रेट तथा फसल की अच्छी बढ़वार के लिए 15-20 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त होता है.

भूमि: सौंफ की खेती रेतीली भूमि को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की भूमि जिसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ उपस्थित हो तथा मृदा का पी.एच. मान 6.6 से 8.0 के बीच हो, में सफलतापूर्वक की जा सकती है.

भूमि की तैयारी: भूमि की तैयारी हेतु सर्वप्रथम एक या दो जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. इसके पश्चात पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरी कर खेत को समतल कर सुविधानुसार क्यारियां बना लेनी चाहिए.

उन्नत किस्में: आर.एफ-105, आर.एफ-125, पी.एफ-35, गुजरात सौंफ-1, गुजरात सौंफ-2, गुजरात सौंफ-11, CO-11, हिसार स्वरुप, एन.आर.सी.एस.एस.ए.एफ-1

ये भी पढ़ें: जानिए हरी मिर्च की उन्नत खेती करने का सबसे आसान तरीका

बुवाई का समय: सौंफ लंबी अवधि की फसल है अतः रबी मौसम की शुरुआत में बुवाई कर अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है. सौंफ की सीधे खेत में या पौधशाला में पौध तैयार कर रोपण किया जा सकता है. इसकी बुवाई के लिये अक्टूबर का प्रथम सप्ताह सर्वोत्तम रहता है. पौधशाला में बुवाई जुलाई-अगस्त माह में की जाती है एवं 45-60 दिन पश्चात पौधारोपण किया जाता है

बीजोपचार: बीज बुवाई से पूर्व बीज को फफूंदनाशक दवा बाविस्टीन (2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर) से उपचारित करें या बीजों को जैविक फफूंदनाशक ट्राईकोडर्मा (8-10 ग्राम प्रति किग्रा बीज) से उपचारित कर बुवाई करें.

English Summary: The increasing value of fennel attracted the attention of farmers, you can earn good profits by cultivating it
Published on: 04 January 2022, 04:51 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now