भारत में कृषि का बदलता दौर भविष्य को उज्ज्वल कर रहा है, तभी अब युवा भी नौकरी छोड़कर खेती-किसानी की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. नई-नई फसलों की खेती की जा रही है. देश में जापान के रेड डायमंड अमरूद भी काफी डिमांड में हैं, लोग इस अमरूद को खूब पसंद कर रहे हैं. जापानी अमरूद की खेती कर किसान लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.
जापानी रेड डायमंड अमरूद एक ऐसा अमरूद है जो नाशपाती जितना मीठा और तरबूज जितना सुर्ख लाल होता है. जिसमें बहुत की कम संख्या में बीज होते हैं. यह अमरूद भारत के अमरुद की वैरायटियों से सबसे अलग है. बाजार में आने के बाद जापानी रेड डायमंड अमरूद की कीमत 100 से 150 रु. प्रति किलो होती है, जबकि देशी अमरूद 50-60 रु. प्रति किलो में बिकता है. इसलिए इस अमरूद की खेती से किसानों को बहुत फायदा हो रहा है, आइये जानते हैं इसकी खेती के बारे में...
अनुकूल जलवायु
देश के ज्यादा हिस्सों में इसकी बागवानी की जाती है. अमरूद (जायफल) एक पौष्टिक फल है जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसे 5°C से 42°C तक आसानी से उगाया जा सकता है.
उपयुक्त मिट्टी
जपानी रेड डायमंड अमरूद के उत्पादन के लिए काली और बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. मिट्टी का पीएच मान 6 से 9 तक उपयुक्त होता है. अमरूद के लिए 7 से 8 पीएच मान का पानी उपयुक्त होता है, लेकिन देश के कई हिस्सों में 1000/- टीडीएस पानी से भी अच्छी उपज आ रही है.
सघन तकनीक से उद्यानिकी
जपानी रेड डायमंड को सघन तकनीक से उगाकर बहुत अच्छा उत्पादन हासिल किया जा सकता है. इसमें किसान कतार से कतार में 8 फीट और पौधे से पौधे में 6 फीट की दूरी रखते हैं. ऐसे में साल में दो बार पौधे की छंटाई की जाती है, इसके दो अन्य डिजाइन उपलब्ध हैं.
अति आधुनिक तकनीक से उद्यानिकी- नई तकनीक के तहत जब फल नींबू के आकार का हो जाता है, तो फल को जालीदार फोम बैग और समाचार पत्र से ढक कर बैग में रख देते हैं इस प्रकार फल निर्यात गुणवत्ता का हो जाता है. ऐसे फल बाजार में खूब पसंद किए जाते हैं.
खाद
अमरूद के लिए गाय के गोबर और वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है. रासायनिक उर्वरकों में एनपीके सल्फर के अलावा कैल्शियम नाइट्रेट, मैग्नीशियम सल्फेट, बोरॉन और माइक्रोन्यूटलस की जरूरत होती है.
सिंचाई
अमरूद के अच्छे और ज्यादा उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई विधि उपयुक्त मानी जाती है. जिसमें पौधे की जरुरत के हिसाब से खाद और पानी दिया जाता है.