कम लगत में अगर आप भी अपना कोई छोटा-मोटा व्यापार शुरू करना चाहते हैं तो आपके लिए मछली पालन एक अच्छा काम साबित हो सकता है. सरकार भी इन दिनों मछली पालकों के लिए नई-नई योजनाएं लेकर आ रही है. वहीं अलग-अलग राज्य सरकारें भी बढ़िया सब्सिडी प्रदान कर रही हैं. ऐसे में यह भविष्य के लिए मुनाफे का सौदा हो सकता है.
इस व्यवसाय के लिए आपको किसी बड़े तालाब या ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं है. इसे बहुत कम जगह में भी किया जा सकता है. वहीं थोड़ा अलग ढंग से इस काम को करना चाहते हैं तो रिसर्कुलर एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) तकनीक का उपयोग किया जा सकता है. इसके तहत सीमेंट से बने टैंक बनाकर मछली पालन किया जा सकता है. इसके लिए बाकायदा केंद्र सरकार आपको मदद प्रदान करती है. इस तकनीक में न तो आपको ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है और न ही ज्यादा जगह की.
इसलिए है फायदेमंद
आमतौर पर एक एकड़ तालाब के लिए करीब 25 हजार मछलियों की जरूरत पड़ती है. जबकि इस तकनीक के सहारे आप एक हजार लीटर पानी में कुल 110-120 मछलियों से ही काम चला सकते हैं. आपकी एक मछली को केवल 9 लीटर पानी में रखना है. इतना पानी भी उसके लिए पर्याप्त होगा.
मछलियों की मांग
दुनिया के लगभग हर देश में मछली खाने वालों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. भारत में भी इसकी लोकप्रियता शिखर पर है. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2030 के अंत तक देश में मछली की खपत चार गुना बढ़ जाएगी.
ऐसे पूरी करें तैयारी
अगर आप भी इस काम को शुरू करना चाहतें है तो इसके लिए कुछ आसान से कामों को करना जरूरी है. सबसे पहले आपको 625 वर्ग फीट बड़ा और 5 फीट गहरा सीमेंट टैंक बनवाना होगा. आरंभ में आप कुल 4 हजार मछलियों के सहारे इस काम को शुरू कर सकते हैं. इस तकनीक के सहारे उत्तर प्रदेश के हजारों किसान आज अच्छा पैसा कमा रहे हैं.
सरकार दे रही है 40 प्रतिशत अनुदान
आरएएस तकनीक को नीली क्रांति की श्रेणी में रखा गया है. इसके अंतर्गत मछली पलकों को 50 लाख की यूनिट कॅास्ट की दर से एक लघु इकाई का प्रोजेक्ट लगाने के लिए केंद्र सरकार 40 प्रतिशत का अनुदान दे रही है. परियोजना के अंतर्गत सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को भी यह सुविधा दी जा रही है. जबकि महिला, एससी, एसटी आदि को 60 प्रतिशत अनुदान की सहायता दी जा रही है.