Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 19 September, 2020 3:02 PM IST

किसानों को उनकी टमाटर की फसल से कम उत्पादन तथा कम आय प्राप्त होने के कई कारण है .

ऐसे में आइये जानते हैं टमाटर की फसल में कम उत्पादन तथा कम आय प्राप्त होने के कारण -

  • अधिक उत्पादन देने वाली संकर किस्मों की खेती न करना जिसमें बीमारियों का प्रकोप कम होता हो .

  • एक ही संकर किस्म की कई वर्षों से खेती करना जिसके कारण बीमारियों का अधिक प्रकोप तथा उत्पादन में कमी आ रही है .

  • कम क्षेत्रफल में अधिक पौधों की रोपाई करना, जिसके कारण फसल बहुत घनी हो जाती है तथा वर्षा के मौसम में बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है .

  • टमाटर की फसल में बीमारियों के नियंत्रण करने के लिए किसानों द्वारा फफूँद नाशकों का उचित मात्रा में सही समय पर छिडकाव नही किया जाता है .

टमाटर की संकर किस्में

  • एन. एस. 585, अभिलाष, सवक्षम, हिमसोना, यू एस 2853 बीज दर

  • एक एकड़ (4000 वर्ग मी०) क्षेत्रफल की लिए (15000 पौध के लिए) 50 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है .

पौधशाला (नर्सरी) में टमाटर की पौध में आर्द गलन (डंमपिंग ऑफ) बीमारी का प्रबधंन

  • पौधशाला में बीज जमाव के बाद काबेन्डाजिम+मेंकोजैब फफूँदनाशक  की 1 ग्राम मात्रा को प्रतिलीटर पानी में घोल बनाकर पौधों के उपर तथा पौधों की जड़ों में 6-7 दिनों के अन्तराल पर 3 छिड़काव करें .

टमाटर में पौधों की रोपाई कैसे करें

  • रोपाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 60 से.मी. तथा पौध से पौध की दूरी 45 से.मी रखें .
  • इस दूरी पर पौध की रोपाई करने पर एक एकड़ (4000 वर्ग मी०) में 15000 पौधों की आवश्यकता होती है .

खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग

  • 15000 पौध (एक एकड़ क्षेत्रफल या 4000 वर्ग मी) के लिए 75-80 कि.ग्रा. एन.पी.के. 12:32:16 का रोपाई से दो दिन पहले प्रयोग कर तथा खेत की जुताई करके मिट्टी में मिला दें .

  • गोबर की सड़ी खाद 120-125 कुन्तल का प्रयोग 15000 पौध के लिए रोपाई से दो दिन पहले खेत की तैयारी के समय करें .

  • रोपाई के 30 दिनों बाद एन.पी.के. 18:18:18 की 3.0 ग्राम मात्रा प्रति ली० पानी में घोल बनाकर एक सप्ताह के अन्तराल पर 4 छिड़काव करें .

  • रोपाई के 60 दिनों बाद एन.पी.के. 18:18:18 की 5 ग्राम मात्रा प्रति ली० पानी में घोल बनाकर एक सप्ताह के अन्तराल पर 3 छिड़काव करें .

  • रोपाई के 80 दिनों बाद एन.पी. के 18:18:18 की 5.0 ग्राम मात्रा प्रति ली० पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें तथा अगले सप्ताह एन.पी.के. 0:0:50 की 5.0 ग्राम मात्रा प्रति ली पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें . यह प्रकिया फसल के अन्त तक अपनाते रहें .

टमाटर की फसल में कीटों एवं बीमारियों का प्रबन्धन

  • टमाटर की रोपाई के बाद कटवा कीट (कट वर्म) का प्रकोप होता है . इस कीट की सूडिंया भूरे रंग की होती है जो रात्रि में टमाटर के पौधों के तने को जमीन की सतह से काट देती हैं . इस कीट के नियंत्रण के लिए क्लेरोपाइरीफॉस टाइपरमथीन कीटनाशक की एक मि०ली० मात्रा प्रति ली० पानी में घोल बनाकर पौधों की जड़ों को सींच दें .

  • एक ली孮० घोल में 5 पौधों की जड़ों की सिचाई करें .

  • पहेती झुलसा बीमारी के प्रकोप से टमाटर के पौधों एवं फलों प भूरे एवं काले रंग के धब्बे हो जाते हैं . इस बीमारी के प्रकोप वर्षा के मौसम में अधिर होता है .

  • पहेती झुलसा बीमारी के प्रबन्धन हेतु फफूँदनाशक (साईमोक्सानिल+मैकोलैब) की 2 ग्रा० मात्रा प्रति ली पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें इसके एक हफ्ते (लगभग 7-8 दिनों) बाद प्रोपिनेब फफूँदनाशक की 2 ग्राम मात्रा प्रति ली० पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें . फफूँदनाशक के घोल में स्टीकर अवश्य मिलाए . मौसम साफ होने पर ही छिड़काव करें .

  • टमाटर की फसल में फल बेथक कीट के प्रबन्धक हेतु इन्डोक्साकार्ब या स्पेनिटोरम कीटनाशक की 0.5 – 1.0 मि०ली० मात्रा प्रति ली० पानी में घोल बनाकर आवश्यकतानुसर छिड़काव करें . कीटनाशक में स्टीकर अवश्य मिलायें .

  • पत्ती मोडक विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को खेत से सावधानी पूर्वक निकालकर नष्ट कर दें .

लेखक: पुष्पेन्द्र सिंह दीक्षित एस.आर.एफ.

सब्जी विज्ञान विभाग कल्यानपुर

चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर

English Summary: Techniques to increase production and income in tomato crop
Published on: 19 September 2020, 03:05 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now