मौसमी फल नाशपाती सेहत के लिए काफी लाभदायक है. नाशपाती का फल फाइबर से भरा होता है आयरन की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है. हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए नाशपाती खाने की सलाह दी जाती है. इसके सेवन से बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी कम होती है. यही वजह है, कि लोग इसे खाना पसंद करते हैं और बाजार में मांग भी रहती है. इसलिए किसान खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन अच्छा उत्पादन हासिल करने के लिए फसल की देखभाल करना जरूरी है फसल को रोगों से भी बचाना जरूरी है आइये जानते हैं रोग और उनके बचाव
1.मकोड़ा जूं
यह पत्तों को खाते हैं और रस चूसते हैं, जिससे पत्तें पीले पड़ने शुरू हो जाते हैं. रोकथाम के लिए घुलनशील सल्फर 1.5 ग्राम या प्रोपरगाइट 1 मि.ली. या फेनेजाक्वीन 1 मि.ली. या डिकोफॉल 1.5 मि.ली. को पानी में मिलाकर स्प्रे करें.
2. टिड्डा
फूल चिपकवे हो जाते हैं और प्रभावित भागों पर काले रंग की फंगस जम जाती है. रोकथाम के लिए कार्बरील 1 किलो या डाईमेथोएट 200 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करें.
3. चेपा और थ्रिप्स
यह पत्तों का रस चूसते हैं, जिससे पत्ते पीले पड़ जाते हैं. यह शहद जैसा पदार्थ छोड़ते हैं, जिस कारण प्रभावित भागों पर काले रंग की फंगस बन जाती है. रोकथाम के लिए फरवरी के आखिरी हफ्ते में इमीडाक्लोप्रिड 60 मि.ली. या थाईआमिथोकसम 80 ग्राम को प्रति 150 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें. दूसरी स्प्रे मार्च महीने में पूरी तरह से धुंध बनाकर करें और तीसरी स्प्रे फल के गुच्छे बनने पर करें.
4. नाशपाती का धफड़ी रोग
पत्तों में काले धब्बे दिखाई देते हैं. बाद में यह धब्बे स्लेटी रंग में बदल जाते हैं. प्रभावित भाग टूट कर गिर जाते हैं. बाद में यह धब्बे फलों के ऊपर दिखते हैं. रोकथाम के लिए कप्तान 2 ग्राम प्रति लीटर की स्प्रे पौधे की निष्क्रिय समय से शुरू करके पत्ते झड़ने के समय तक 10 दिनों के फासले पर करें. प्रभावित फलों, पौधे के भागों को हटा दें और खेत से दूर ले जाकर नष्ट करें.
5. जड़ का गलना
पौधे की छाल और लकड़ी भूरे रंग की हो जाती है और इस पर सफेद रंग का पाउडर दिखाई देता है. प्रभावित पौधे सूखना शुरू हो जाते है. इनके पत्ते जल्दी झड़ जाते हैं. रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 400 ग्राम को 200 लीटर पानी में मिला कर मार्च महीने में स्प्रे करें. जून में दोबारा स्प्रे करें.
कटाई और छंटाई
नाशपाती के पौधे की शाखाओं को मज़बूत, अधिक पैदावार और बढ़िया गुणवत्ता के फल हासिल करने के लिए कटाई और छंटाई की जाती है. इसके लिए बीमारी-ग्रस्त, नष्ट हो चुकी, टूटी हुई और कमज़ोर शाखाओं की टहनियों को काट कर पेड़ से अलग कर देना चाहिए.
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फल की तुड़ाई
नाशपाती के फलों की तुड़ाई जून के पहले सप्ताह से सितम्बर के बीच की जाती है. नज़दीकी मंडियों में फल पूरी तरह से पकने के बाद और दूरी वाले स्थानों पर ले जाने के लिए नाशपाती के हरे फल तोड़े जाते हैं. नाशपाती के फल की तुड़ाई का समय किस्म के आधार पर तय होता है. फलों के पकने के लिए करीब 145 दिनों की जरूरत होती है, जबकि सामान्य नरम किस्म के लिए 135 से 140 दिन में फल पक कर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है.