Tips For Potato Cultivation: आलू की फसल में नाशीजीवो (खरपतवारों, कीटों व रोगों) से लगभग 40 से 45 फीसदी की हानि होती है. कभी कभी यह हानि शत प्रतिशत होती है. आलू की सफल खेती के लिए आवश्यक है की समय से पछेती झुलसा रोग का प्रबंधन किया जाए. यह रोग फाइटोपथोरा इन्फेस्टेंस नामक कवक के कारण फैलता है. आलू का पछेती अंगमारी रोग बेहद विनाशकारी है. आयरलैंड का भयंकर अकाल जो साल 1945 में पड़ा था, इसी रोग के द्वारा आलू की पूरी फसल तबाह हो जाने का ही नतीजा था.
जब वातावरण में नमी व रोशनी कम होती है और कई दिनों तक बरसात या बरसात जैसा माहौल होता है, तब इस रोग का प्रकोप पौधे पर पत्तियों से शुरू होता है.
दिखाई देने वाले लक्षण
यह रोग 4 से 5 दिनों के अंदर पौधों की सभी हरी पत्तियों को नष्ट कर सकता है. पत्तियों की निचली सतहों पर सफेद रंग के गोले गोले बन जाते हैं, जो बाद में भूरे व काले हो जाते हैं. पत्तियों के बीमार होने से आलू के कंदों का आकार छोटा हो जाता है और उत्पादन में कमी आ जाती है. इस के लिए 20 से 21 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान मुनासिब होता है. आर्द्रता इसे बढ़ाने में मदद करती है. पछेती झुलसा के विकास को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय कारक तापमान और नमी हैं.
स्पोरैंगिया निचली पत्ती की सतहों और संक्रमित तनों पर बनते हैं जब सापेक्षिक आर्द्रता <90% होती है. बीजाणु बनाने की प्रक्रिया (स्पोरुलेशन) 3-26 डिग्री सेल्सियस (37-79 डिग्री फारेनहाइट) से हो सकता है, लेकिन इष्टतम सीमा 18-22 डिग्री सेल्सियस (64-72 डिग्री फारेनहाइट) है. आलू एवं की सफल खेती के लिए आवश्यक है की इस रोग के बारे में जाने एवं प्रबंधन हेतु आवश्यक फफुंदनाशक पहले से खरीद कर रख ले एवं ससमय उपयोग करें अन्यथा रोग लगने के बाद यह रोग आप को इतना समय नहीं देगा की आप तैयारी करें.पूरी फसल नष्ट होने के लिए 4 से 5 दिन पर्याप्त है.
पछेती झुलसा रोग का प्रबंधन
जब तक आलू के खेत में इस रोग के लक्षण नही दिखाई देता है, तब तक मैंकोजेब युक्त फफूंदनाशक 0.2 प्रतिशत की दर से यानि दो ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते है, लेकिन एक बार रोग के लक्षण दिखाई देने के बाद मैंकोजेब नामक देने का कोई असर नहीं होगा इसलिए जिन खेतों में बीमारी के लक्षण दिखने लगे हों उनमें साइमोइक्सेनील मैनकोजेब दवा की 3 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
इसी प्रकार फेनोमेडोन मैनकोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं. मेटालैक्सिल एवं मैनकोजेब मिश्रित दवा की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर भी छिड़काव किया जा सकता है. एक हेक्टेयर में 800 से लेकर 1000 लीटर दवा के घोल की आवश्यकता होगी. छिड़काव करते समय पैकेट पर लिखे सभी निर्देशों का अक्षरशः पालन करें.