PM-Kisan: 9.5 करोड़ किसानों के लिए खुशखबरी, पीएम मोदी कल जारी करेंगे पीएम-किसान की 18वीं किस्त केंद्र ने क‍िसानों के ल‍िए खोला खजाना,1 लाख करोड़ रुपये की दो कृषि योजनाओं को मिली मंजूरी, जानें कैसे मिलेगा लाभ Good News: देश में खाद्य तेल उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा, केंद्र सरकार ने इस योजना को दी मंजूरी केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक पपीता की फसल को बर्बाद कर सकता है यह खतरनाक रोग, जानें लक्षण और प्रबंधित का तरीका
Updated on: 30 September, 2024 6:15 PM IST
धान के लिए बेहद विनाशकारी है यह बीमारी (Picture Credit - knowledge bank)

Bacterial Leaf Blight Management: धान की बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (बीएलबी) एक बहुत प्रमुख एवं विनाशकारी बीमारी है जो बैक्टीरिया ज़ैंथोमोनास ओराइजी पीवी ओराइजी के कारण होती है. बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट बीमारी दुनिया भर में धान उत्पादन के लिए एक बड़ा खतरा है, क्योंकि धान वैश्विक आबादी के आधे से अधिक लोगों का मुख्य भोजन है. बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (बीएलबी) के लक्षण, कारण, महामारी विज्ञान, प्रबंधन के विभिन्न उपाय निम्नलिखित है

बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट

धान में जीवाणुजन्य पत्ती झुलसा रोग, जो जैन्थोमोनस ओराइजी पी.वी. ओराइजी के कारण होता है. यह रोग धान के पौधों को प्रभावित करने वाली सबसे विनाशकारी बीमारियों में से एक है. बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (बीएलबी) मुख्य रूप से चावल के पौधों की पत्तियों को प्रभावित करता है और अगर प्रभावी ढंग से प्रबंधित नहीं किया गया तो उपज में काफी नुकसान हो सकता है.

बीएलबी के प्रमुख लक्षण

बीएलबी के लक्षण आम तौर पर पत्तियों पर छोटे, पानी से लथपथ घावों के रूप में शुरू होते हैं, जो बाद में लम्बी, पीले से भूरे रंग की धारियों में विकसित होते हैं. ये धारियां अक्सर लहरदार दिखाई देती हैं और पत्ती के ब्लेड की लंबाई तक फैलती हैं. जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, छोटे छोटे धब्बे मिलकर एक हो जाते हैं, जिससे पूरी पत्तियां मर जाती हैं. गंभीर मामलों में, बीएलबी पत्ती के आवरण और पुष्पगुच्छों को भी प्रभावित करता है, जिससे पैदावार में भारी कमी हो जाती है.

ये भी पढ़ें: बाजरे की इस उन्नत किस्म से मिलेगी उच्च उपज, जानें खूबियां

कारण और रोगज़नक़

बीएलबी का रोगकारक, ज़ैंथोमोनास ओराइजी पीवी ओराइजी है जो एक ग्राम-नकारात्मक जीवाणु है जो धान के पौधों के अंतरकोशिकीय स्थानों पर निवास करता है. यह घाव या प्राकृतिक छिद्रों के माध्यम से पौधे में प्रवेश करता है और पौधे के ऊतकों के भीतर बहुगुणित होता है, जिससे रोग के लक्षण उत्पन्न होते हैं. इस रोग के रोग कारक बाह्यकोशिकीय एंजाइमों और विषाक्त पदार्थों सहित कई विषैले कारकों का उत्पादन करता है, जो इसकी रोगजनकता में योगदान करते हैं.

महामारी विज्ञान

बीएलबी के लिए गर्म और आर्द्र परिस्थितिया ज्यादा अनुकूल होती है, जो इसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रचलित बनाता है. यह बीमारी बारिश की फुहारों, हवा से होने वाली बारिश और सिंचाई के पानी के साथ-साथ दूषित कृषि उपकरणों और पौधों के मलबे से फैलती है. बीजों में रोगज़नक़ की उपस्थिति से नए क्षेत्रों में बीएलबी की शुरूआत भी होती है.

रोग चक्र

बीएलबी के प्रभावी प्रबंधन के लिए रोग चक्र को समझना महत्वपूर्ण है. इसकी शुरुआत धान के खेत में रोगज़नक़ की शुरूआत के साथ होती है, जिसके बाद मेजबान पौधों का उपनिवेशण होता है. संक्रमित पौधे पर्यावरण में जीवाणु कोशिकाएं छोड़ते हैं, जो आस पास के पौधों को संक्रमित करती हैं. रोग का विकास तापमान और नमी जैसे पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होता है.

धान उत्पादन पर बीएलबी का प्रभाव

बीएलबी से धान उत्पादन में महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान होता है. गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में उपज का नुकसान 20% से लेकर 50% तक हो सकता है. ये नुकसान न केवल खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करते हैं बल्कि धान किसानों की आजीविका को भी प्रभावित करते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां धान एक प्राथमिक मुख्य फसल है.

बीएलबी प्रबंधन कैसे करें?

बीएलबी को प्रबंधित करने के लिए कई उपाय किए जा सकते है जैसे:

प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग: प्रजनन कार्यक्रमों ने बीएलबी के प्रतिरोध की अलग-अलग डिग्री के साथ चावल की किस्मों का विकास किया है. ये प्रतिरोधी किस्में रोग की उग्रता को काफी हद तक कम कर सकती हैं.

फसल चक्रण: गैर-मेज़बान फसलों के साथ फसल चक्रण से मिट्टी में इस रोग के रोगकाराक के संचय को कम करने में मदद मिलती है.

स्वच्छता: उचित स्वच्छता उपाय, जैसे कि संक्रमित पौधों के मलबे को हटाना और खेत के औजारों को कीटाणुरहित करना, रोगज़नक़ के प्रसार को रोकता है.

रासायनिक नियंत्रण: बीएलबी को नियंत्रित करने के लिए कॉपर-आधारित जीवाणुनाशकों और एंटीबायोटिक दवाओं को मिलाकर उपयोग किया जा सकता है, लेकिन प्रतिरोध के विकास के कारण समय के साथ उनकी प्रभावशीलता कम हो सकती है. इस रोग के प्रबंधन के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी एवं स्ट्रेप्टोमाइसिन @ 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इस रोग के लक्षण दूर से देखने पर जिंक की कमी जैसे दिखते है. यदि जिंक (Zn) की कमी के लक्षण दिखे तो जिंक सल्फेट @ 5 ग्राम प्रति लीटर पानी एवं बुझा हुआ चूना @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से धान में जिंक की कमी को आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है.

जैविक नियंत्रण: बीएलबी प्रबंधन के लिए पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में लाभकारी सूक्ष्मजीवों और जैवनाशकों की खोज की जा रही है.

चुनौतियां और भविष्य की दिशाएं

बीएलबी को नियंत्रित करने के प्रयासों के बावजूद, चुनौतियां बनी हुई हैं. बढ़ी हुई उग्रता के साथ इस रोग के नए उपभेदों का उद्भव पहले से प्रतिरोधी किस्मों में प्रतिरोध को दूर कर सकता है. इसके अतिरिक्त, रासायनिक नियंत्रण विधियों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन प्रथाओं को विकसित करने की आवश्यकता है.

English Summary: symptoms and management bacterial leaf blight disease is extremely destructive for paddy
Published on: 30 September 2024, 06:19 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now