सूरजमुखी को सदाबहार की खेती (Sunflower Evergreen Cultivation) के नाम से जाना जाता है. दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी खेती को किसान तीनों सीजन यानि कि खरीफ, रबी और जायद में सरलता से कर सकते है. जैसा कि आप जानते हैं कि गर्मी के महीने शुरु होने ही वाले हैं. इसी कड़ी में किसानों ने अपने खेत में उन्नत और अधिक लाभ देने वाली फसलों की तैयारी करना शुरू कर दिया है.
अगर आप भी कम समय में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने वाले फसल की खेती करने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. बता दें कि सूरजमुखी की फसल कम समय में किसानों को अच्छा उत्पादन देती है. इसी कारण देश में बड़े पैमाने पर किसान इसकी खेती करते हैं. तो आइए आज हम अपने इस लेख में सूरजमुखी की खेती (surajmukhi ki kheti) करने का उन्नत तरीका और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से जानेंगे.
सूरजमुखी की उन्नत किस्में
किसानों को खेती करने से पहले सूरजमुखी की उन्नत किस्मों (improved varieties of sunflower) के बारे में पता होना चाहिए. किसानों के द्वारा सूरजमुखी की किस्म (sunflower variety) मार्डन को बहुत ही ज्यादा पसंद किया जाता है. साथ ही इसकी कई किस्में भी है, जो अधिक मात्रा में उत्पादन देती है. जैसे कि- बीएसएस-1, केबीएसएस-1, ज्वालामुखी, एमएसएफएच-19, सूर्या, के.वी. एस.एच 1, एस.एच.-3322, एफ.एसएच-17, कावेरी 618, ज्वालामुखी, सूर्या, मार्डन,एम.एस.एफ.एच 4 आदि.
सूरजमुखी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
सूरजमुखी फसल को पकन के लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता पड़ती है, तो वहीं इसकी खेती सभी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है, लेकिन देखा जाए तो ज्यादा जल रोकने वाली भारी भूमि और दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है.
खेत की तैयारी
किसानों को इसकी खेती के लिए अपने खेत में पलेवा लगाकर जुताई करनी चाहिए. एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. फिर दूसरी देशी हल से 2-3 बार खेत की जुताई करें. इसके बाद आपको मिट्टी को भुरभुरी बना लेना है. बता दें कि आप रोटावेटर की मदद से खेत को जल्दी तैयार कर सकते हैं.
बीज की मात्रा और बीज उपचार
सूरजमुखी की खेती में बीज की जमाव गुणवता लगभग 70-75 प्रतिशत से कम होनी चाहिए, तो वहीं बीज की मात्रा को बढ़ाकर बुवाई करनी चाहिए. बीज को बुवाई से पहले रात में लगभग 12 घंटे पहले भिगोकर छोड़ दें. फिर आपको इसे 3-4 घंटे छाया में अच्छे तरीके से सुखाना है और फिर आपको दोपहर के बाद बुवाई करनी है.
बुवाई की विधि
किसानों को इसकी बुवाई करते समय बेहद ध्यान देना होता है. खेती में बुवाई लाइनों में करनी चाहिए. इसकी बुवाई पहले हल के पीछे 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर करनी चाहिए. ध्यान रहे कि इन लाइनों की दूरी लगभग 45 सेंटीमीटर और पौधों की दूरी लगभग 15-20 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए.
सिंचाई विधि
अगर आप सूरजमुखी की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सिंचाई पर बेहद ध्यान देना चाहिए. सूरजमुखी की खेती के लिए 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है. वहीं अगर आपके खेत की मिट्टी भारी है, तो सिंचाई की 3-4 बार करनी चाहिए. लेकिन ध्यान रहे कि पहली सिंचाई बीज बोने के करीब 20-25 दिन बाद ही करें. फूल निकलते वक्त और दाना भरते वक्त भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. इसकी खेती में सिंचाई बहुत सावधानी से करनी चाहिए, ताकि पौधे गिर न पाए.
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फसल की कटाई
फसल के जब बीज कड़े यानी सख्त हो जाए, तो ऐसे में आपको फूलों की कटाई कर देनी चाहिए. फिर आपको इसे छाया में सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए. लेकिन ध्यान रहे कि इन्हें आपको एक स्थान पर ढेर यानि की एकत्रित करके नहीं रखना है. फिर आपको इनके बीजों को डंडे की सहायता से पीट-पीट कर निकाल देना चाहिए. वैसे तो अब बाजार में बीज निकाले की कई बेहतरीन मशीन उपलब्ध है, किसान उनकी मदद से भी सरलता से बीजों को निकाल सकते हैं.