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Updated on: 27 March, 2023 3:00 PM IST
पश्चिम बंगाल में सूरजमुखी की खेती

West Bengal: सूरजमुखी एक प्रमुख तिलहनी फसल है. यह मुख्य रूप से समशीतोष्ण देशों में उगाई जाती है. यह वनस्पति तेल के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है. भारत सरकार ने देश में वनस्पति तेल उत्पादन को प्राथमिकता दी है. सूरजमुखी की फसल ने बीते कुछ वर्षों में घरेलू किसानों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है.

वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल में सूरजमुखी की खेती में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. वसंत ऋतु के आते ही यहा सूरजमुखी का उत्पादन काफी बढ़ गया है. निमपीठ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के किसानों को पानी में घुलनशील उर्वरकों और पोषक तत्वों को मिलाकर खेती करने से सीधे तौर पर सूरजमुखी की फसल में काफी फायदा हुआ है. इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने बताया कि सूरजमुखी की फसल की चयनित नस्लें जैसे कि ज्वालामुखी, केबीएसएच-1, और एमएसएफएच-4, की खेती से दक्षिण 24 परगना जिले के खेतों से विशेष रूप से सुंदरबन जैसी जगहों पर अच्छी पैदावार हो सकती है.

सूरजमुखी के कई स्वास्थ्य लाभों के साथ-साथ इसके तेल को भारत और दुनिया भर में पसंद किया जाता है. भारत में यह ब्रांडेड तेल के रुप में सबसे अधिक बिकने वाला खाद्य तेल है, जिस कारण इसे अन्य वनस्पति तेलों की तुलना में प्रीमियम माना जाता है.

सूरजमुखी की खेती अन्य वनस्पति तेल फसलों की तुलना में काफी आसान होती है. यह एक प्रकाश-संवेदी फसल है और इसे रबी, खरीफ और वसंत ऋतु के किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ेंः सूरजमुखी की खेती करने का ये है सही समय, जानें तरीका

वसंत के मौसम में इसकी खेती में आमतौर पर 90 से 120 दिन लगते हैं. सूरजमुखी की फसल की सिंचाई से बार की जाती है. इसमें नमी के बीच पनपने की अच्छी क्षमता होती है. 

English Summary: Sunflower Cultivation Sees a Surge in India's West Bengal as Spring Season Arrives
Published on: 27 March 2023, 02:44 PM IST

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