आजकल खेती की एक नई पद्धति प्रचलन में है, जिसे स्टेकिंग विधि कहा जाता है. कई राज्यों की सरकारें इस विधि से खेती करने पर किसानों को सब्सिडी का लाभ भी दे रही है.
इसी क्रम में हरियाणा सरकार ने भी इस विधि से सब्जियों की खेती करने पर किसानों को सवा लाख रुपए तक की सहायता (subsidy) देने की घोषणा की थी. आज हम आपको इस पद्धति(method) के बारे में विस्तार से बताएंगे कि ये पद्धति क्या है और इसका उपयोग किस प्रकार किया जाता है.
क्या है सब्जियों के उत्पादन की स्टेकिंग विधि?
सब्जियों के उत्पादन की यह विधि बहुत ही आसान है और बहुत कम संसाधनों के साथ इस विधि को अपनाया जा सकता है. स्टेकिंग का शाब्दिक अर्थ है- खूंटा लगाना. इस विधि में बांस और लोहे के तार के उपयोग से एक जाल बनाया जाता है और फिर सब्जियों को उगाया जाता है.
इस विधि से सब्जियों की पैदावार में अच्छी-खासी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. इस विधि का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस तरह से उगाने पर सब्जियां सड़ती नहीं हैं और उत्पादन भी बढ़ता है.
इन सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त है स्टेकिंग विधि
लता पर लगने वाली सब्जियां इस विधि से आसानी से उगाई जा सकती हैं जैसे टमाटर बैंगन, मिर्ची, खीरा इत्यादि.
कैसे उपयोग में आती है ये विधि?
इस विधि के अंतर्गत सबसे पहले खेत के किनारे पर लगी मेड के पास 10 फीट की दूरी पर 10 फीट ऊंचे बांस के डंडो को खड़ा किया जाता है. उसके बाद डंडों पर दो-दो फीट की ऊंचाई पर लोहे के तार को बांध दिया जाता है, ताकि पौधा ऊपर की ओर बढ़ता रहे. इस विधि से पौधों की ऊंचाई 6 से 8 फीट तक हो जाती है. पौधे को मजबूती प्राप्त होती है और बेहतर सब्जियां प्राप्त होती हैं .
स्टेकिंग विधि अपनाने से होने वाले लाभ
ऐसी फसलें जिन्हें सहारे की जरूरत होती है उन्हें इस विधि से सड़ने से बचाया जा सकता है. सपोर्ट मिल जाने के कारण इन पौधों की लताओं पर ज्यादा भार नहीं पड़ता और वे आसानी से ऊपर की ओर बढ़ती हैं. इससे सब्जियां खराब नहीं होती हैं.
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यह विधि अपनाने से पौधा भूमि की नमी के संपर्क में ज्यादा नहीं रहता और यही कारण है कि सब्जियां खराब होने से बच जाती हैं. पौधे को बांस का सपोर्ट मिल जाने की वजह से उसके टूटने की संभावना कम रहती है. खेती की इस तकनीक को अपनाकर किसान भाई ज्यादा से ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते हैं. इससे उन्हें अच्छी उपज प्राप्त होगी और मुनाफा भी अच्छा मिलेगा.