खरीफ मौसम (Kharif Season) की मुख्य फसलों में से एक सोयाबीन (Soybean) है. यह हमारे किसान भाइयों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है, क्योंकि देश की खाद्य सुरक्षा में सोयाबीन का भी अहम रोल होता है. ऐसे में, हमारे कई किसान सोयाबीन की अलग-अलग किस्मों को बोना चाहते हैं ताकि उन्हें इससे अधिक मुनाफा (Soybean Commercial Production) प्राप्त हो सके.
सोयाबीन की टॉप किस्में (Top Variety of Soybeans)
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान सोयाबीन की 4000 किस्मों का रखरखाव कर रहा है. लेकिन आज हम आपको सोयाबीन की अहम किस्मों के नाम बताने जा रहे हैं:
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एनआरसी 2 (अहिल्या 1)
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एनआरसी-12 (अहिल्या 2)
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एनआरसी-7 (अहिल्या 3)
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एनआरसी-37 (अहिल्या 4)
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JS 93-05
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JS 95-60
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JS 335
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JS 80-21
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NRC 2
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NRC 37
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पंजाब 1
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कलितूर
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एमएसीएस 58
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एनआरसी 37
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टाइप 49
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दुर्गा
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पीएस 1024
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पीएस 1029
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इंदिरा सोया 9
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एमएयूएस 61
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एमएयूएस 61-2
भारत और सोयाबीन (Soybean Interesting Facts)
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सोयाबीन, भारत में सबसे अधिक खेती की जाने वाली फसलों में से एक है
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सोयाबीन उन फसलों में से एक है जो एक तिलहन फसल है.
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Soybean के उत्पादन में भारत का विश्व में चौथा स्थान है.
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इतना ही नहीं, कई किसान सोयाबीन की खेती पर निर्भर है और यह किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने का काम करती है.
सोयाबीन का वाणिज्यिक उत्पादन (Soybean Production in India)
भारत में, इस दलहन तिलहन का व्यावसायिक उत्पादन (Commercial Production of Pulses Oilseeds) 60 के दशक के मध्य के बाद शुरू हुआ, जिसमें भारत सबसे आगे रहा और उसके बाद नेपाल का स्थान रहा था. बता दें कि 70 के दशक की शुरुआत में, मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती का क्षेत्रीय प्रसार लगभग 7,700 हेक्टेयर था, इसके बाद उत्तर प्रदेश (5,900 हेक्टेयर) और महाराष्ट्र (1800 हेक्टेयर) का स्थान था. वहीं आज, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान मिलकर देश में सोयाबीन की खेती (Soybean Farming) और उत्पादन के क्षेत्र में 96% से अधिक का योगदान करते हैं.